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जानिए कौन है उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी नदी और क्या है इसका क्षेत्रफल, कुछ खास विशेषताएं भी…

भारत की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में गंगा नदी को देवी के रूप में निरुपित किया गया है। बहुत से पवित्र तीर्थस्थल गंगा नदी के किनारे पर बसे हुये हैं जिनमें वाराणसी और हरिद्वार सबसे प्रमुख हैं। गंगा नदी को भारत की पवित्र नदियों में सबसे पवित्र माना जाता है एवं यह मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश हो जाता है।

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

 

रिर्पोट: अनुष्का सिंह

 

दिल्ली: उत्तर प्रदेश जो कि कला और शिल्प की समृद्ध विरासत के लिए प्रसिद्ध है। वो प्रदेश जो काशी, वाराणसी, प्रयागराज, मथुरा जैसे और कई बड़े महानगरो से मिलकर बना है। और ऐसे ही कई उत्तर प्रदेश के महानगरो को पावन करती है,उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी नदी गंगा। जिसे हम कई नाम से जानते है, भागीरथी, मंदाकनी, देवनदी आदी।

गंगा नदी का विस्तार

यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर 2525 किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखंड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। लेकिन उ.प्र मे गंगा सिर्फ 1450 की.मी की ही दूरी तय करती है, गंगा नदी की प्रधान शाखा भागीरथी है जो गढ़वाल में हिमालय के गौमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से निकलती हैं।

 

भागीरथी को माना गया गंगा नदी का स्रोत

गंगा का निर्माण 6 शीर्ष धाराओं और उनके 5 संगमों से हुआ है। भागीरथी को गंगा नदी के स्रोत के रूप में माना जाता है, जो गंगोत्री ग्लेशियर के तल पर 3892 मीटर की ऊंचाई पर गंगोत्री ग्लेशियर के तल से निकलता है, हालांकि कई छोटी धाराएं हैं जो भागीरथी को खिलाती हैं। जिनमें छह प्रमुख धाराएँ अलकनंदा, धौलीगंगा, मंदाकिनी, पिंडर, मंदाकिनी और भागीरथी नदियाँ हैं। पंच प्रयाग के नाम से जाने जाने वाले पांच संगम अलकनंदा के किनारे हैं। वे अनुप्रवाह क्रम में हैं, विष्णुप्रयाग, जहां धौलीगंगा अलकनंदा में मिलती है; नंदप्रयाग, जहां मंदाकिनी मिलती है; कर्णप्रयाग, जहां पिंडर मिलती है, रुद्रप्रयाग, जहां मंदाकिनी मिलती है; और अंत में, देवप्रयाग, जहां भागीरथी अलकनंदा में शामिल होकर गंगा नदी का निर्माण करती है।

400 मिलियन लोगों के लिए जीवन का स्रोत

आधुनिक समय में गंगा नदी अपने बेसिन में रहने वाले लगभग 400 मिलियन लोगों के लिए जीवन का स्रोत बन गई है। वे अपनी दैनिक जरूरतों जैसे पीने के पानी की आपूर्ति, भोजन, सिंचाई और निर्माण के लिए नदी पर निर्भर हैं।

उत्तर प्रदेश के इन जिलों से गुजरती है गंगा

गंगा नदी उत्तर प्रदेश में बिजनौर में प्रवेश करती है और उन्नाव पहुंचने से पहले बुलंदशहर, हापुड़, मेरठ, मुजफ्फरनगर, अलीगढ़, कासगंज, संभल, अमरोहा, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई और रायबरेली से होकर बहती है। पूरे राज्य में गंगा 27 जिलों से होकर बहती है।

 

सहायक नदियां निभाती है भूमिका

गंगा को हिंदू धर्म में मां के रूप में भी माना जाता है क्योंकि शहरों को विकसित करने, जीवित रहने और फलने-फूलने में मदद करने, उद्योगों को बढ़ने में मदद करने और दैनिक उपयोग और कृषि उद्देश्यों के लिए जनता को पानी उपलब्ध कराने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।

लेकिन अगर सिर्फ उत्तर प्रदेश के बारे में विशेष रूप से बात करे तो, गंगा और इसकी सहायक नदियाँ निम्नलिखित महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

 

  • गंगा से पश्चिम उत्तर प्रदेश का दोआब क्षेत्र कृषि प्रयोजन के लिए गंगा और यमुना पर निर्भर है। इसने वास्तव में वहां एग्रीकल्चरमें मदद होती है। कानपुर, प्रयागराज (इलाहाबाद), वाराणसी जेसे बड़े शहर हैं जो सभी प्रकार के उपयोगों (औद्योगिक, दैनिक उपयोग, पीने, आदि) के लिए पूरी तरह से गंगा पर निर्भर हैं।

 

  • गंगा तट पर कुंभ मेला का आयोजन होता है जो कि हिंदू धर्म की मान्यती है।(सटीक होने के लिए संगम) और साथ ही हिंदू धर्म में धार्मिक उद्देश्य।

 

  • साथ हा गंगा पर्यटन का सबसे बड़ा आकर्षण है। जिसके कारण जलमार्ग से यात्रा को अब बढ़ावा दिया जा रहा है।

गंगा की धार्मिक मान्यता

भारत की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में गंगा नदी को देवी के रूप में निरुपित किया गया है। बहुत से पवित्र तीर्थस्थल गंगा नदी के किनारे पर बसे हुये हैं जिनमें वाराणसी और हरिद्वार सबसे प्रमुख हैं। गंगा नदी को भारत की पवित्र नदियों में सबसे पवित्र माना जाता है एवं यह मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश हो जाता है। मरने के बाद लोग गंगा में अपनी राख विसर्जित करना मोक्ष प्राप्ति के लिये आवश्यक समझते हैं, यहाँ तक कि कुछ लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा भी रखते हैं। इसके घाटों पर लोग पूजा अर्चना करते हैं और ध्यान लगाते हैं। गंगाजल को पवित्र समझा जाता है तथा समस्त संस्कारों में उसका होना आवश्यक है।

गंगा का सफाई अभियान

इतनी धार्मिक मानयता और सहायक भूमिका होने के बाद भी आज के समय गंगा कि सबसे ज्यादा दूषित नदियों मे से एक है। जिस कारण  गंगा को बचाने के लिये साथ ही गंगा को साफ सुथरा रखने के लिये केंद्र सरकार ने कई अभियान भी शुरु किये हैं। जैसे कि नमामि गंगे।

नमामी गंगे कार्यक्रम गंगा नदी को बचाने का एक एकीकृत प्रयास है और इसके अन्तर्गत व्यापक तरीके से गंगा की सफाई करने को प्रमुखता दी गई है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत नदी की सतही गन्दगी की सफाई, सीवेज उपचार के लिये बुनियादी ढाँचे, एवं नदी तट विकास, जैव विविधता, वनीकरण और जनजागरूकता जैसी प्रमुख गतिविधियाँ शामिल हैं। जिस कारण नमामा गंगे कार्यक्रम मे अब तक लगभग 10,792.02 रुपयोँ का र्खच आ चुका है।

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