1. हिन्दी समाचार
  2. केंद्र सरकार
  3. इसरो फिर इतिहास रचने को तैयार, 14 जुलाई को लॉन्च होगा चंद्रयान-3, सभी तैयारियां मुकम्मल

इसरो फिर इतिहास रचने को तैयार, 14 जुलाई को लॉन्च होगा चंद्रयान-3, सभी तैयारियां मुकम्मल

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

सीनियर जर्नलिस्ट प्रताप राव की कलम से…

नई दिल्ली: भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन एक बार फिर इतिहास रचने को तैयार है। चंद्रयान-2 के लैंडर की क्रैश लैंडिंग के बाद अब चंद्रयान-3 चांद पर पहुंचने के लिए तैयार है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को लॉन्च करने की तैयारियां पूरी कर ली गई है। 4 साल पहले चंद्रयान-2 के लैंडर की क्रैश लैंडिंग के बाद सफलता से थोड़ी दूर रह गए थे। लेकिन इस बार कोई कसर नहीं रहने वाली है। इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने बताया है कि पिछली बार हुई 3 बड़ी गलतियों को इस बार सुधारा गया है। सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 को उन सभी बातों को ध्यान में रखकर बनाया गया है जो गलत हो सकती हैं। उनके मुताबिक पिछली बार के ‘सक्सेज बेस्ड’ अप्रोच की जगह इस बार ‘फेल्योर बेस्ड’ डिजाइन तैयार किया गया है। फोकस इस बात पर है कि मिशन के दौरान क्या-क्या गड़बड़ हो सकता है, कहां-कहां क्या दिक्कत आ सकती है। सभी संभावित गड़बड़ियों को दूर किया गया है।

इस बार सुधारी गई 3 बड़ी गलतियां

बता दें कि चंद्रयान-2 22 जुलाई 2019 को लॉन्च हुआ था और 6 सितंबर को उसके लैंडर को चांद की सतह पर उतरना था। लैंडिंग के बाद लैंडर के भीतर से रोवर प्रज्ञान को बाहर निकलना था और 14 दिन-रात तक चांद की सतह पर चलकर वैज्ञानिक अध्ययन करना था। लेकिन 7 सितंबर को लैंडर की क्रैश लैंडिंग हो गई। इसरो चीफ ने बताया कि चंद्रयान-2 मिशन के दौरान 3 बड़ी गलतियां हुई थीं। उन्हें इस बार सुधारा गया है। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-3 के साथ भी देसी लैंडर जाएगा। उसके भीतर रोवर रहेगा। लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा और उसके बाद रोवर को तैनात करेगा। रोवर चांद की सतह पर मौजूद केमिकल और तत्वों का अध्ययन करेगा। चंद्रयान-3 के बाद इसरो जापान के साथ मिलकर नए मून मिशन पर काम करेगा।

4 साल पहले चंद्रयान-2 की हुई थी क्रैश लैंडिंग

बता दें कि भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया था। उस मिशन में चांद पर उतरना शामिल नहीं था। चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी की मौजूदगी के सबूत ढूंढे थे। उसके बाद 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च हुआ। 47 दिनों की यात्रा के बाद चंद्रयान-2 के साथ गया लैंडर चांद की सतह पर लैंडिंग करने वाला था लेकिन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की वजह से ऐन वक्त पर उसकी क्रैश लैंडिंग हो गई थी और ग्राउंड स्टेशन से उसका संपर्क टूट गया था। अब चंद्रयान-3 चांद की सतह पर पहुंचने के लिए मुकम्मल है।