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मंदी की आशंकाओं के बीच दौड़ी भारतीय इकॉनमी, सबसे तेज इकॉनमी ग्रोथ वाला देश बना भारत

दुनिया भर में मंदी की आशंकाओं के बीच भारतीय इकॉनमी स्पीड से दौड़ रही है। भारत बड़ी इकॉनमी वाले देशों में सबसे तेज इकॉनमिक ग्रोथ वाला देश बना हुआ है। मैन्यूफैक्चरिंग, कृषि, खनन और निर्माण क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से देश का जीडीपी ग्रोथ रेट बीते वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 6.1% रहा। इसके साथ, पूरे वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी ग्रोथ की दर 7.2% पर पहुंच गई, जो अनुमान से अधिक है। इसके साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था 3,300 अरब डॉलर की हो गई है।

By RNI Hindi Desk 
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नई दिल्ली: दुनिया भर में मंदी की आशंकाओं के बीच भारतीय इकॉनमी स्पीड से दौड़ रही है। भारत बड़ी इकॉनमी वाले देशों में सबसे तेज इकॉनमिक ग्रोथ वाला देश बना हुआ है। मैन्यूफैक्चरिंग, कृषि, खनन और निर्माण क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से देश का जीडीपी ग्रोथ रेट बीते वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 6.1% रही। इसके साथ, पूरे वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी ग्रोथ की दर 7.2% पर पहुंच गई, जो अनुमान से अधिक है। इसके साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था 3,300 अरब डॉलर की हो गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी ने सारे अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए जनवरी-मार्च तिमाही में 6.1 फीसद की दर से ग्रोथ हासिल की। जो इससे पिछली तिमाही के 4.5 फीसदी से अधिक है। कृषि क्षेत्र में 5.5% और विनिर्माण क्षेत्र में 4.5% की ग्रोथ के दम पर यह आर्थिक ग्रोथ हासिल की गई। इसके अलावा  निर्माण, सेवा और खनन क्षेत्रों में भी प्रदर्शन काफी अच्छा रहा।

2022-23 में 7.2 फीसद रही आर्थिक ग्रोथ

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक इस तिमाही से पहले अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में यह 4.5% और जुलाई-सितंबर तिमाही में 6.2% थी। जीडीपी ग्रोथ दर 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही में 13.1% रही थी। वित्त वर्ष 2021-22 की जनवरी-मार्च तिमाही में यह चार फीसदी रही थी। आंकड़ों के अनुसार, पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक ग्रोथ दर 7.2% रही। इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में यह 9.1% थी। इसके विपरीत चीन का ग्रोथ रेट इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में 4.5% रहा। जीएसटी कलेक्शन, बिजली खपत, परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स जैसे इंडिकेटर्स अप्रैल में आर्थिक गतिविधियां बने रहने के संकेत दे रहे हैं। हालांकि निर्यात और आयात कम हुआ है। इससे कुछ खतरा पैदा हुआ है। मॉनसून और वैश्विक स्तर पर राजनीतिक जोखिम को छोड़कर देश की आर्थिक ग्रोथ दर 2023-24 में 6.5% के अनुमान से ऊपर रहने का अनुमान है।

कई उद्योगों की ग्रोथ पड़ी सुस्त

मार्च 2023 को समाप्त वित्त वर्ष में सकल मूल्य वर्धन ग्रोथ सात फीसदी रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 8.8% थी। विनिर्माण क्षेत्र में जीवीए ग्रोथ दर मार्च 2023 को समाप्त तिमाही में बढ़कर 4.5% रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 0.6 फीसदी थी। खनन क्षेत्र में जीवीए ग्रोथ दर मार्च 2023 को समाप्त चौथी तिमाही में 4.3 फीसदी रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 2.3% थी। निर्माण क्षेत्र की ग्रोथ दर इस दौरान 10.4% रही जो एक साल पहले 2021-22 की इसी तिमाही में 4.9% थी। कृषि क्षेत्र की ग्रोथ दर इस दौरान 5.5% रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 4.1% थी। वहीं कई उद्योगों की ग्रोथ अप्रैल, 2023 में सुस्त पड़कर छह महीने के निचले स्तर 3.5% रह गई। जिसकी मुख्य कारण कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और बिजली के उत्पादन में कमी आना है। वहीं कोयला, उर्वरक और बिजली क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से पूरे वित्त वर्ष 2022-23 में बुनियादी उद्योगों की ग्रोथ दर में 7.7% रही।

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