11 अप्रैल के दिन कई महान लोगों ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया । वैसे ही कई महान शख्सियत ने जन्म लिया। चलिए 11 अप्रैल के सफर पर इतिहास से अच्छा शिक्षक कोई दूसरा हो ही नहीं सकता. इतिहास सिर्फ अपने में घटनाओं को नहीं समेटे होता है बल्कि इन घटनाओं से भी आप बहुत कुछ सीख सकते हैं।
11 अप्रैल के दिन कई महान लोगों ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया । वैसे ही कई महान शख्सियत ने जन्म लिया। चलिए 11 अप्रैल के सफर पर इतिहास से अच्छा शिक्षक कोई दूसरा हो ही नहीं सकता. इतिहास सिर्फ अपने में घटनाओं को नहीं समेटे होता है बल्कि इन घटनाओं से भी आप बहुत कुछ सीख सकते हैं। हर गुजरता दिन इतिहास में कुछ घटनाओं को जोड़कर जाता है। ऋषिकेश में स्टील के तारों से बना लक्ष्मण झूला 11 अप्रैल 1930 में जनता के लिये खोला गया था।
1923 में इस पुल की नींव बिटिश सरकार के कार्यकाल के दौरान पड़ी थी, लेकिन तेज बाढ़ के चलत साल 1924 में इसकी नींव ढह गई थी। इसके बाद 1927 में एक बार फिर इसकी नींव रखी गई और तीन साल बाद 11 अप्रैल 1930 में यह पुल बनकर तैयार हो गया था–गंगा नदी के ऊपर बना यह पुल 450 फीट लम्बा झूलता हुआ पुल है। शुरू में जूट के रस्सों से बना था, लेकिन बाद में इसे लोहे की तारों से मजबूत बनाया गया–हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण ने इसी स्थान पर जूट की रस्सियों के सहारे गंगा नदी को पार किया था. इसी वजह से इस पुल का नाम लक्ष्मण झूला पड़ा था. पुल के पश्चिमी किनारे पर लक्ष्मण जी का मंदिर भी है–ऋषिकेश में ही रामझूला नाम का एक और पुल है जिसकी लंबई 750 फी है. इस पुल का इतिहास बहुत पुराना नहीं है।
इसका निर्माण साल 1983 में हुआ था। अफ्रीकी –अमेरिकी महिलाओं के उच्च शिक्षा के लिए 11 अप्रैल 1881 में स्पेलमेन कॉलेज जॉर्जिया के अटलांटा में स्थापित किया गया था । 11 अप्रैल को जन्मे व्यक्ति भारत के महान विचारक, समाज सेवी तथा क्रान्तिकारी ज्योतिबा फुले का 11 अप्रैल 1827 में जन्म हुआ था । ज्योतिराव गोविंदराव फुले 19वीं सदी के एक महान समाजसुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे–इन्हें महात्मा फुले एवं जोतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है।
इन्होंने अपना पूरा जीवन स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार दिलाने, बाल विवाह को बंद कराने में लगा दिया। फुले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे। महात्मा ज्योतिबा फुले ने साल 1848 में लड़कियों के लिए देश का पहला महिला स्कूल खोला था। पुणे में खोले गए स्कूल में उनकी पत्नी सावित्रीबाई पहली शिक्षिका बनीं। तब समाज के एक तबके ने इसका विरोध भी किया था और ज्योतिबा फुले को अपना स्कूल बंद करना पड़ा। हालांकि, फिर उन्हें उस्मान शेख ने स्कूल के लिए अपनी जगह मुहैया कराई।
ज्योतिराव फुले ने दलितों और वंचितों को न्याय दिलाने के लिए सत्यशोधक समाज की स्थापना की थी। समाज परिवर्तन के आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए 24 सितंबर 1873 को इसकी स्थापना की गई थी। इसका प्रमुख उद्देश्य शूद्रों-अतिशूद्रों को न्याय दिलाना, उन्हें शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना, उन्हें उत्पीड़न से मुक्ति दिलाना, वंचित वर्ग के युवाओं के लिए प्रशासनिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना आदि शामिल था।
ज्योतिराव फुले को उनकी समाज सेवा से प्रभावित होकर 1888 में मुंबई की एक सभा में महात्मा की उपाधि से नवाजा गया। महात्मा गांधी जी की पत्नी कस्तूरबा गांधी का 11 अप्रैल 1869 में जन्म हुआ था। 11 अप्रैल को हुए निधन। प्रसिद्द साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु का निधन 11 अप्रैल 1977 को हुआ था। हिन्दी साहित्य में आंचलिक विधा को जन्म देने वाले फणीश्वरनाथ रेणु किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उनके लेखनी की विशेषता ये है कि उनकी रचनाओं के केंद्र में गांव का जीवन और तत्कालीन परिस्थितियों का वर्णन लोगों को खुद से जोड़े रखने पर मजबूर करता है. उनकी साहित्यिक कृतियां आज भी लोगों के दिल पर असर डालती हैं। उनके प्रमुख उपनयास और कहानियों में मैला आंचल, परती परिकथा, मारे गये गुलफाम, जूलूस, कितने चौराहे, लाल पान की बेगम, अग्निखोर और अच्छे आदमी जैसी कई कृतियां शामिल हैं।
अपने प्रथम उपन्यास मैला आंचल के लिये उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार, नाटककार और कहानीकार विष्णु प्रभाकर का निधन 11 अप्रैल 2009 को हुआ था। विष्णु प्रभाकर ने ढलती रात, स्वप्नमयी, अर्धनारीश्वर, धरती अब भी घूम रही है, क्षमादान, दो मित्र, पाप का घड़ा, होरी इत्यादि उपन्यास लिखे। प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गाँधी जी के जीवन आदर्शों से प्रेम के कारण प्रभाकर जी का रुझान कांग्रेस की तरफ़ हो गया। वे आज़ादी के दौर में बजते राजनीतिक बिगुल में उनकी लेखनी का भी एक उद्देश्य बन गया था, जो आज़ादी के लिए संघर्षरत थी। अपने लेखन के दौर में वे प्रेमचंद, यशपाल और अज्ञेय जैसे महारथियों के सहयात्री भी रहे, किन्तु रचना के क्षेत्र में उनकी अपनी एक अलग पहचान बन चुकी थी।
11 अप्रैल की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ
1999 – फिलीपींस की सरकार द्वारा ‘एक स्कूल गोद लो’ की अनोखी घोषणा।
2002 – चीन में मैच (फ़ुटबाल) फ़िक्सिंग के आरोप में रेफ़री गिरफ़्तार।
2003 – पाकिस्तान ने 12वीं बार शारजाह कप जीता।
2004 – इस्लामाबाद में भारत के प्रख्यात गायक कलाकार सोनू निगम के कार्यक्रम स्थल के पास एक कार में बम विस्फोट।
2008 – सरकारी कर्मचारियों द्वारा विरोध को देखते हुए केन्द्र सरकार ने छठे वेतन आयोग की समीक्षा के लिए सचिवों की एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने की घोषणा की। स्वीडन में वैज्ञानिकों ने आठ हज़ार वर्ष पुराने वृक्ष की खोज की।
11 अप्रैल को जन्मे व्यक्ति
1827 – ज्योतिबा फुले – भारत के महान् विचारक, समाज सेवी तथा क्रान्तिकारी।
1869 – कस्तूरबा गाँधी – महात्मा गाँधी जी की पत्नी।
1887 – जामिनी रॉय – भारत के प्रसिद्ध चित्रकार।
1904 – कुन्दन लाल सहगल भारतीय गायक और अभिनेता
1916 – आर. डी. भण्डारे – भारतीय राजनीतिज्ञ, न्यायविद और अम्बेडकरवादी कार्यकर्ता थे।
1937 – रामानाथन कृष्णन – भारत के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से है।
1946 – नवीन निश्चल – भारतीय फ़िल्म अभिनेता थे।
1983 – अनूप श्रीधर – भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।
11 अप्रैल को हुए निधन
1977 – फणीश्वरनाथ रेणु, साहित्यकार
2009 – हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार, नाटककार और कहानीकार विष्णु प्रभाकर का निधन।
2010 – कैलाश चंद्र दाश, वैज्ञानिक और भुवनेश्वर के उत्कल विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर।
2001 – कमल रणदिवे – प्रसिद्ध भारतीय महिला चिकित्सक थीं।