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मणिपुर में शांति के लिए प्रयास तेज, सीबीआई व न्यायिक आयोग करेंगे जांचः अमित शाह

मणिपुर करीब एक महीने से हिंसा में जल रहा है। मैतेई समाज के आरक्षण को हालिया हिंसा का कारण माना जा रहा है। पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने चूराचांदपुर के वनक्षेत्र में बसे नगा और कुकी जनजाति को घुसपैठिए बताते हुए वहां से निकालने के आदेश दिए थे। इस आदेश के बाद नगा और कुकी समाज नाराज चल रहे थे। वहीं शांति प्रयासों को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मणिपुर में डेरा डाले हुए हैं।

By RNI Hindi Desk 
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इम्फालः मणिपुर करीब एक महीने से हिंसा में जल रहा है। मैतेई समाज के आरक्षण को हालिया हिंसा का कारण माना जा रहा है। पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने चूराचांदपुर के वनक्षेत्र में बसे नगा और कुकी जनजाति को घुसपैठिए बताते हुए वहां से निकालने के आदेश दिए थे। इस आदेश के बाद नगा और कुकी समाज नाराज चल रहे थे। गौरतलब है कि 21 सितम्बर 1949 को विलय संधि के बाद 15 अक्टूबर 1949 से मणिपुर भारत का अंग बना। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने पर ये एक मुख्य आयुक्त के अधीन भारतीय संघ में भाग ‘सी’ के राज्य के रूप में शामिल हुआ। मैतेई समाज के लोगों का कहना है कि विलय से पूर्व उन्हें रियासतकाल में उन्हें जनजाति का दर्जा प्राप्त था। पिछले 70 साल में मैतेई आबादी 62 फीसदी से घटकर लगभग 50 फीसदी के आसपास रह गई है। अपनी सांस्कृतिक पहचान बचाने के लिए आरक्षण की मांग की जा रही है। वहीं मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। राज्य में नगा और कुकी समाज की आबादी 34% हैं। इनका तर्क है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। राजनीतिक रूप से मैतेई समाज का पहले से ही मणिपुर में दबदबा है। नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि एसटी वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा हो जाएगा। मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है।

उधर मणिपुर में भड़की हिंसा की आग को शांत करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पिछले तीन दिन से मणिपुर में जमे हुए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मणिपुर हिंसा गलतफहमी की वजह से भड़की है। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमीशन हिंसा की जांच करेगा। रिटायर्ड हाई कोर्ट जस्टिस इस आयोग के अध्यक्ष होंगे। सीबीआई भी हिंसा से जुड़े केस की जांच करेगी। पूरी जांच की निगरानी खुद भारत सरकार करेगी। इसके अलावा केंद्र सरकार की निगरानी में ही शांति समिति का गठन भी किया जाएगा। इसमें उद्योगपति, खिलाड़ी, चुने हुए प्रतिनिधियों और नागरिक समाज के लोगों को शामिल किया जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री ने ऐलान किया कि हिंसा पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपये की मदद दी जाएगी है। इस राशि में से पांच लाख रुपये केंद्र और पांच लाख रुपये राज्य सरकार वहन करेगी। उन्होंने कहा कि मणिपुर में अगले दो से तीन दिन के अंदर रेल सेवा शुरू हो जाएगी। अमित शाह ने लूटे गए हथियार रखने वालों को सरेंडर करने को कहा है। उन्होंने कहा कि पुलिस बॉम्बिंग शुरू कर रही है और जिसके पास हथियार मिले, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

अमित शाह ने मणिपुर में राहत शिविरों का दौरा किया। जहां कुकी और मैतेई दोनों समूह के लोगों से मुलाकात की और मणिपुर में शांति बहाली पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि राहत और पुनर्वास के लिए जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को पांच लाख रुपये मणिपुर सरकार की तरफ से दिए जाएंगे। वहीं पांच लाख रुपये भारत सरकार की तरह से दिए जाएंगे। कुल मिलाकर प्रभावित परिवार को 10 लाख रुपए की राशि सरकार की तरफ दी जाएगी साथ ही मणिपुर हिंसा में घायल हुए लोगों की संपत्ति का जो नुकसान हुआ है उनके लिए भी राहत और पुनर्वास पैकेज घोषित किया जाएगा। उन्होंने लोगों से कहा कि मणिपुर में जल्द शांति बहाल होगी। जल्द की लोगों की घरों में वापसी सुनिश्चित की जाएगी। गृहमंत्री ने कुकी समुदाय के संगठनों के साथ भी बैठक की थी। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि मणिपुर की शांति पहली प्राथमिकता है। शांति बहाली के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाएं।

 

इधर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ  जनरल अनिल चौहान ने कहा कि मणिपुर में हालात सामान्य होने में थोड़ा वक्त लगेगा। जनरल चौहान ने कहा- राज्य में हिंसा दो जातियों के बीच संघर्ष का परिणाम है। इसका उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं है। यह कानून-व्यवस्था का मामला है और हम राज्य सरकार की मदद कर रहे हैं। गौरतलब है कि मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है। राजधानी इंफाल से लगे सेरौ और सुगनू इलाके में रविवार को हिंसक झड़प हुई थी। इसमें 1 पुलिसकर्मी समेत 5 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 घायल हुए हैं। राज्य में हिंसा के चलते अब तक करीब 80 लोगों की जान गई है। जबकि हिंसा के बाद सेना और असम राइफल्स ने 28 मई को एक बड़ा रेस्क्यू अभियान चलाया। जिसमें कुकी जनजाति और मेइती समुदाय के ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में मदद की। मणिपुर की आबादी लगभग 38 लाख है। इसमें से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं। वहीं राज्य के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है। हाल ही में मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने पर विचार करने के आदेश जारी किया है।

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