नई दिल्ली : वैक्सीन बनाने के लिए लगातार अंडों की डिमांड बढ़ती जा रही है, जिसका कंपनी को फायदा भी है। हालांकि इन अंडों का इस्तेमाल कोरोना वैक्सीन में नहीं किया जाता है। आपको बता दें कि वर्तमान समय में SPF अंडे का प्रयोग कोरोना वैक्सीन बनाने में नहीं किया जा रहा है। इस अंडे की जो डिमांड बढ़ी है उसके पीछे दूसरी वैक्सीन है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और हेस्टर बायोसाइंसेज को आपूर्ति करने की बात आती है तो वेंकीज इंडिया की हिस्सेदारी लगभग 100 फीसदी है। वेंकीज दुनिया के सबसे बड़े एसपीएफ अंडे उत्पादकों में से एक है।
वेंकीज के जनरल मैनेजर जी एम प्रसन्ना ने टॉइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि वेंकीज प्रति माह 10 लाख एसपीएफ अंडे का उत्पादन करती है। जिसमें से एक बड़ी मात्रा रेबीज और फ्लू जैसी बीमारियों से निपटने के लिए टीके उत्पादन में की जाती है। SPF अंडों की कीमत सप्लाई और मात्रा पर निर्भर करती है। यूएस कंपनियों की ओर से इस अंडे के लिए 2 से 2.5 डॉलर प्रति अंडे कोट है। भारत में आते- आते इसकी कीमत बढ़ जाती है। वेंकी की ओर से इनकी कीमत एक डॉलर प्रति अंडा है।
बता दें कि वेंकीज एशिया की पहली कंपनी है जो वैक्सीन के लिए अंडों का उत्पादन करती है। 1983 से यह सिलसिला शुरू हुआ। वेंकीज के फाउंडर बी वी राव जिन्हें भारत में पोल्ट्री फार्म का जनक भी माना जाता है। एसपीएफ अंडों के लिए 1983 में कंपनी ने यूएस के साथ करार किया। भारत में कोई एसपीएफ अंडे उत्पादन में इस कंपनी का कोई दूसरा प्रतिद्वंदी नहीं है। ऐसा इसलिए भी क्यों कि इस प्रकार के अंडों के उत्पादन के लिए एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता है।
वायरस रेप्लीकेशन के लिए फर्टाइल मुर्गी के अंडे सबसे प्रभावी है और इस तरीके को पिछले 70 सालों से अपनाया जा रहा है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि मई 2022 में इसके अंडो की यटीलाइजेशन कैपेसिटी 63 फीसदी थी 2022 में इसे बढ़ाकर 85 फीसदी करने का लक्ष्य है। कंपनी को पिछले तिमाही में 78 करोड़ का फायदा हुआ है।
ऐसे पक्षियों का ब्लड सैंपल हर सप्ताह लिया जाता है। ऐसा उनके एसपीएफ स्टेटस को जानने के लिए किया जाता है। साथ ही साथ मुर्गियों का खास ख्याल रखा जाता है। स्वच्छ हवा, फिल्टर किया हुआ पानी, गर्म खाना इत्यादि शामिल है।