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लखनऊ : एक ही मरीज में मिले ब्लैक, वाइट और यलो फंगस, गाजियाबाद के बाद देश का दूसरा मामला

By Amit ranjan 
Updated Date

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के बाद राजधानी लखनऊ में भी एक मरीज में वाइट, ब्लैक और यलो तीनों फंगस के मामले सामने आया है। जिससे स्वास्थ विभाग में खलबली मच गई है। हालांकि यह मामला देश का दूसरा ऐसा मामला है। डॉक्टरों के मुताबिक फंगस का पता शुरूआती चरण में लग गया है। इसलिए मरीज की हालत अभी बहुत गंभीर नहीं है। बता दें कि मरीज अस्पताल में भर्ती है।

मरीज का नाम सरस्वती वर्मा (63) है। एक महीने पहले उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। लेकिन बाद में चेहरे में भारीपन, आंख व सिर में दर्द शुरू हो गया। डायबिटिज भी थीं। परेशानी बढ़ने पर राजधानी अस्पताल में ऐडमिट हुई।

20 दिन पहले हुई पुष्टि

मरीज का इलाज कर रहे डॉ. अनुराग यादव ने बताया कि लगभग बीस दिन पहले इन्हें लाया गया। एमआरआई रिपोर्ट देखने पर फंगस की पुष्टि हुई। इसके बाद जब इंडोस्कोपी की गई तो पता चला कि तीनों ही रंगों के फंगस हैं। नाक में ब्लैक फंगस पाया गया, साइनस में यलो और मैग्जिलरी बोन के ऊपर वाइट।

जा सकती थी मरीज की जान

मरीज की सर्जरी करने का निर्णय लिया, लेकिन एचआरसीटी वैल्यू हाई होने से तुरंत सर्जरी नहीं हो पाई। ऐसे में फेफड़े के संक्रमण को कम किया गया। इसके बाद सर्जरी कर सभी फंगस को निकाल दिया गया। अगर समय पर सर्जरी न होती तो स्थिति काफी गंभीर हो सकती थी। फिलहाल ऐंटीफंगल दवाएं मरीज को दी जा रही हैं।

यलो फंगस है वाइट का हिस्सा

डॉ. अनुराग का कहना है कि यलो फंगस असल में वाइट फंगस का ही एक हिस्सा होता है। वाइट फंगस में जब पस आ जाता है तो उसका रंग यलो हो जाता है। फिर भी इसकी तस्दीक के लिए मरीज की जांच की जा रही है।

कहां-कहां अटैक करता है ब्लैक फंगस?

विशेषज्ञों ने बताया कि कोविड के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस लोगों को घेर रहा है। इस रोग में काले रंग की फंगस नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उन्हें नष्ट कर रही है और मरीजों की जान पर बन रही है।

किसे हो सकता है ब्लैक फंगस?

1) कोविड के दौरान जिन्हें स्टेरॉयड्स- मसलन डेक्सामिथाजोन, मिथाइल, प्रेडनिसोलोन आदि दी गई हों।

2) कोविड मरीज को ऑक्सिजन सपॉर्ट पर या आईसीयू में रखना पड़ा हो।

3) कैंसर, किडनी, ट्रांसप्लांट आदि की दवाएं चल रही हों।

ब्लैक फंगस के लक्षण

1) बुखार आ रहा हो, सर दर्द हो रहा हो, खांसी हो या सांस फूल रही हो।

2) नाक बंद हो। नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो।

3) आंख में दर्द हो। आंख फूल जाए, एक चीज दो दिख रही हो या दिखना बंद हो जाए।

4) चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो।

5) दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दांत दर्द करे।

6) उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए।

क्या करें

ब्लैक फंगस के कोई लक्षण नजर आए तो तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं। नाक, कान, गले, आंख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जन विशेषज्ञ को तुरंत दिखाएं ताकि जल्दी इलाज शुरू हो सके।

सावधानियां

  1. खुद या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टरों, दोस्तों, मित्रों, रिश्तेदारों के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू न करें।
  2. लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने के दुष्परिणाम हो सकते हैं। बीमारी शुरू होते स्टेरॉयड शुरू न करें। इससे बीमारी बढ़ सकती है।
  3. स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5 से 10 दिनों के लिए देते हैं, वह भी बीमारी शुरू होने के 5 से 7 दिनों बाद, केवल गंभीर मरीजों को। इससे पहले बहुत सी जांच होना जरूरी हैं।
  4. इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें की इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है, अगर है तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं।
  5. स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।
  6. घर पर अगर ऑक्सिजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबालकर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नॉर्मल स्लाइन डालें, बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों।
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