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घूस नहीं देने पर बीडीओ ने काटा आवास योजना से नाम, शौचालय में रहने को मजबूर दादी-पोती

By Amit ranjan 
Updated Date

नई दिल्ली : बिहार के नालंदा जिले मकरौता पंचायत के गांव दिरीपर वार्ड नंबर 3 में कौशल्य देवी और उनकी पोती सार्वजनिक शौचालट में अपना जीवन गुजार रही है। उनके घर में कमाने वाले कोई शख्स नहीं है। वहीं दिरीपर के बगल का गांव मौजूदा विधायक कृष्ण मुरारी शरण का है। आपको बता दें कि कौशल्या देवी का इस दुनिया में कोई देखने वाला नहीं है। और ना ही उसे किसी भी प्रकार का सरकारी की लाभ मिल रहा है।

भीख मांगकर अपना पेट पालती हैं दादी-पोती

10 साल की पोती के सिर से माता पिता का साया पहले ही उठ चुका है। लाचार दोनों दादी पोती अपने गांव में घर-घर खाना मांगकर अपना पेट पालती हैं। इस बाबत जब उनसे पूछा गया तो कौशल्या देवी और उनकी पोती सपना कुमारी ने बताया परिवार के कमाऊ सदस्य के नहीं रहने के कारण मजबूरन भीख मांग कर किसी तरह से तो जिंदगी काट रही है। धूप और पानी से बचने के लिए महिला ने शौचालय में रहकर जीवन यापन कर रही है और इसे ही अपना आशियाना बना लिया है।

मुखिया-विधायक किसी को नहीं बुजुर्ग का ख्याल

दुखद बात यह है कि इस बुजुर्ग महिला को आशियाना तो छोड़िए उसे किसी किस्म की सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा है, ताकि कमसे कम वह अपना पेट पाल सके। पूछने पर कौशल्या देवी ने बताया उनका पति, बेटा, बहू दुनिया छोड़ चुके हैं। उनको अब कोई देखने वाला नहीं है। किसी मुखिया, सरपंच या विधायक ने आज तक उसे किसी योजना का लाभ तक नहीं दिलाया। इधर-उधर से भीख मांग कर अपना किसी तरह काम चलाती है और इसी शौचालय में रहकर गुजर-बसर करती है।

घूस नहीं देने पर बीडीओ ने काटा नाम

वहीं, पूर्व मुखिया रबीश कुमार ने बताया कि 2017 में आवास योजना में कौशल्या देवी का नाम आवास योजना में आया था। तत्कालीन आवास पर्यवेक्षेक ने आवास योजना का लाभ दिलाने के एवज में कौशल्या देवी से नकदी की डिमांड की थी। गरीब होने के चलते कौशल्या देवी पैसे नहीं जुटा पाईं, इसलिए शुद्धिकरण के बहाने इनका नाम काट दिया गया। इनके घर में कोई जेंट्स नहीं है। बता दें कि कौशल्या देवी 75 वर्ष की हैं और उनकी पोती करीब आठ साल की हैं।

पूर्व मुखिया ने कहा कि कौशल्या देवी की बात प्रखंड में कई बार उठाया जा चुका है। अधिकारी प्रेमराज, मीनु श्रीवास्तव समेत तीन बीडीओ आ चुके हैं। उनसे कई बार इनकी बात रखी जा चुकी है लेकिन बिना नकदी दिए किसी ने कोई बात नहीं सुनी।

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