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श्रीलंका के हाथ आने वाला है ‘कटोरा’ ! पढ़ें पूरी खबर

श्रीलंका अपने रिजर्व सोने का भंडार बेचकर देश को दिवालिया होने से बचा रहा है. देश में विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है जिससे आयात पर बुरा असर हुआ है. ऐसे में श्रीलंका सोना बेचकर विदेशी मुद्रा का इंतजाम कर रहा है. श्रीलंका के प्रमुख अर्थशास्त्री ने भारत का उदाहरण देते हुए कहा है कि भारत ने भी सोना गिरवी रखा था

By RNI Hindi Desk 
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रिर्पोट- अतुल कुमार

श्रीलंका अपने रिजर्व सोने का भंडार बेचकर देश को दिवालिया होने से बचा रहा है. देश में विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है जिससे आयात पर बुरा असर हुआ है. ऐसे में श्रीलंका सोना बेचकर विदेशी मुद्रा का इंतजाम कर रहा है. श्रीलंका के प्रमुख अर्थशास्त्री ने भारत का उदाहरण देते हुए कहा है कि भारत ने भी सोना गिरवी रखा था। श्रीलंका खुद को दिवालिया होने से बचाने के लिए सोना बेचने की स्थिति में पहुंच चुका है. श्रीलंका सोना बेचकर अपनी गिरती अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहा है . श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि उसने खत्म होते ही विदेशी मुद्रा के भंडार को देखते हुए अपने गोल्ड रिजर्व का एक हिस्सा बेच दिया है. श्रीलंका के प्रमुख अर्थशास्त्री और सेंट्रल बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर डॉ. डब्ल्यू. ए विजेवर्धने ने हाल ही में एक ट्वीट भी किया था जिसमें उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक का गोल्ड रिजर्व कम हो गया है.

श्रीलंका के प्रमुख अर्थशास्त्री और सेंट्रल बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर डॉ. डब्ल्यू. ए विजेवर्धने ने बताया सेंट्रल बैंक का गोल्ड रिजर्व 38.2 करोड़ डॉलर से घटकर 17.5 करोड़ डॉलर का हो गया है.

श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर निवार्ड कैब्राल ने कहा है कि श्रीलंका ने दिसंबर 2020 में अपने सोने के भंडार के एक हिस्से को लिक्विड फॉरेन एसेट्स (नकदी) को बढ़ाने के लिए बेच दिया है. उन्होंने कहा कि चीन से करेंसी स्वैप (डॉलर के बजाय एक-दूसरे की मुद्रा में व्यापार करना) के बाद साल के अंत में गोल्ड रिजर्व को बढ़ाया गया था।

इकोनॉमी नेक्ट्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अनुमान है कि श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने 2021 की शुरुआत में 6.69 टन सोने के भंडार में से लगभग 3.6 टन सोना बेचा था, जिससे उसके पास लगभग 3.0 से 3.1 टन सोना रह गया था।

2020 में भी केंद्रीय बैंक ने सोना बेचा था. साल की शुरुआत में 19.6 टन सोने का भंडार था जिसमें से 12.3 टन सोना बेच दिया गया.

गवर्नर कैब्राल ने कहा कि सोने की बिक्री विदेशी मुद्रा के भंडार को बढ़ावा देने के लिए थी. उन्होंने कहा, ‘जब विदेशी भंडार कम होता है तो हम सोने की होल्डिंग को कम करते हैं. जब रिजर्व स्तर 5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक बढ़ जाएगा तो केंद्रीय बैंक सोने की होल्डिंग बढ़ाने पर विचार करेगा.

श्रीलंका के प्रमुख अर्थशास्त्री ने सोने के भण्डार की कमी को लेकर कही ये बाते।

 

डॉ. डब्ल्यू. ए विजेवर्धने ने सोना बेचे जाने को लेकर श्रीलंका के अखबार डेली मिरर से बातचीत की है. उन्होंने श्रीलंका की स्थिति की तुलना 1991 के भारत से की है जब भारत ने खुद को दिवालिया होने से बचाने के लिए सोना गिरवी रखा था. उन्होंने कहा, ‘सोना एक रिजर्व है जिसे किसी देश को डिफ़ॉल्ट के कगार पर होने पर अंतिम उपाय के रूप में उपयोग करना होता है. इसलिए जब कोई दूसरा विकल्प उपलब्ध न हो तो सोने की बिक्री संयम से की जानी चाहिए. भारत ने भी 1991 में अपना सोना गिरवी रखा था. उन्होंने आगे कहा, ‘भारत की सरकार ने इसे देश से छुपाया लेकिन कहानी बाहर आई और सरकार की छवि खराब हुई लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने बाद में लोकसभा में स्वीकार किया कि देश के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था. तो श्रीलंका द्वारा आज सोने की बिक्री का मतलब है कि देश की स्थिति 1991 के भारत जैसी ही है.

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