काठमांडू: नेपाल में सरकार भंग होने के बाद सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी टूट के कगार पर है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बैठक बुलाकर पार्टी का पुनर्गठन कर दिया और 1199 सदस्यों की नई समिति बना दी है। प्रचंड के धड़े ने केन्द्रीय समिति की अलग बैठक बुलाकर ओली को संयोजक पद से हटा दिया है। वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार को पार्टी का नया संयोजक बनाया है। प्रचंड ने कहा है कि वह ओली के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे। नेपाल में रविवार को मंत्रिमंडल की सिफारिश पर सरकार भंग होने और राष्ट्रपति के मध्यावधि चुनाव की घोषणा के बाद कम्युनिस्ट पार्टी में फूट पड़ गई है।
प्रधानमंत्री ओली और उनके विरोधी पुष्प कमल दहल प्रचंड ने अलग अलग पार्टी की बैठक की। दोनों ने ही अपनी पार्टी को वास्तविक कम्युनिस्ट पार्टी बताया है। ओली ने अपने आधिकारिक आवास पर नई समिति का गठन किया। प्रधानमंत्री की उपस्थिति में सभी नए-पुराने सदस्यों को शपथ भी दिलाई गई। बैठक में ही नरायन काजी श्रेष्ठ को पार्टी प्रवक्ता के पद से हटा दिया गया है। उनके स्थान पर विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली को नया प्रवक्ता बनाया गया है।
प्रधानमंत्री ओली की यह मशक्कत कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय समिति में अपना बहुमत बनाए रखने के लिए है। वर्तमान 446 सदस्यों के साथ अब समिति में 556 नए सदस्य शामिल किए गए हैं। ओली ने पार्टी की अगले साल 7 से 12 अप्रैल को होने वाली आम सभा को आगे बढ़ा दिया है। अब यह 18 से 23 नवंबर को होगी।
इधर, प्रचंड ने भी कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय समिति की अलग से बैठक की। यहां पर पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार और पूर्व कृषि मंत्री घनश्याम भूशाल के साथ ही केन्द्रीय समिति के दो तिहाई सदस्य मौजूद थे। बैठक में केन्द्रीय समिति के 315 सदस्यों ने माधव कुमार के समर्थन में वोट डालते हुए उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी का ओली के स्थान पर संयोजक बना दिया है। प्रवक्ता नरायन काजी श्रेष्ठ ने बताया कि ओली को संयोजक पद से हटा दिया है, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है।