Double blow to Pakistan, which is harboring terrorists operating in Kashmir; FATF ने पाकिस्तान को दोहरा झटका और उसके गुरु यानी तुर्की को ग्रे लिस्ट में डाल दिया है। ग्रे लिस्ट में डालने से दोनोें देशों के आर्थिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। वहीं पाकिस्तान को खुद को इस लिस्ट से बाहर निकालने के लिए ये कदम उठाने होंगे।
नई दिल्ली : वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था फाइनैंशल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को पाल रहे पाकिस्तान और उसके गुरु को गहरा झटका दिया है। जिससे निकल पाना दोनों देशों के लिए नामुमकिन है। गौरतलब है कि एफएटीएफ ने न केवल पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है, बल्कि उसके गुरु तुर्की को भी आतंकियों को पालने के आरोप में ग्रे लिस्ट में डाल दिया है।
बता दें कि इससे पहले पाकिस्तान बार-बार तुर्की की मदद से ब्लैक लिस्ट होने से बच रहा था और अब खुद तुर्की ही एफएटीएफ के लपेटे में आ गया है। पाकिस्तान और तुर्की के खिलाफ इस ऐक्शन से भारत को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है जो आतंकी हमलों से जूझ रहा है। वहीं पाकिस्तान ने इसे लेकर एफटीएफ पर बड़ा आरोप लगाया, और भारत के दबाव में ये कदम उठाने की बात कहीं।
इस आरोप का खंडन करते हुए एफएटीएफ के अध्यक्ष डॉ मार्कस प्लेयर ने कहा कि पाकिस्तान को गंभीरतापूर्वक यह दिखाने की जरूरत है कि प्रतिबंधित आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ जांच और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई ठोस तरीके से चल रही है। उन्होंने कहा कि एफएटीएफ एक तकनीकी निकाय है और हम अपना फैसला आम सहमति से लेते हैं।
पाकिस्तान को करना होगा खुद को साबित
एफएटीएफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान तब तक इस सूची में शामिल रहेगा जब तक कि वह साबित नहीं कर देता कि जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने 34 ऐक्शन प्वाइंट में से 30 को पूरा कर दिया है। इससे पाकिस्तान के ब्लैकलिस्ट होने का सवाल नहीं उठता है।
आपको बता दें कि पाकिस्तान को जून, 2018 में एफएटीएफ ने निगरानी सूची में रखा था। उसे अक्टूबर, 2019 तक पूरा करने के लिये कार्य योजना सौंपी गयी थी। लेकिन उसे पूरा करने में विफल रहने के कारण वह एफएटीएफ की निगरानी सूची में बना हुआ है। बता दें कि इस ऑनलाइन बैठक में वैश्विक नेटवर्क के 205 सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा संयुक्त राष्ट्र सहित कई पर्यवेक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक में तुर्की को भी ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया। तुर्की पर आरोप है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा दे रहा है और आतंकियों का वित्तपोषण कर रहा है।
पाकिस्तान और तुर्की के लिए आर्थिक मदद मिलना होगा मुश्किल
तुर्की और पाकिस्तान के एफएटीएफ के ग्रे लिस्ट में जाने से उनकी आर्थिक स्थिति का और बेड़ा गर्क होना तय है। तुर्की को पाकिस्तान की तरह से अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। पहले से ही कंगाली के हाल में जी रहे तुर्की की हालत और खराब हो जाएगी। दूसरे देशों से भी तुर्की को आर्थिक मदद मिलना बंद हो सकता है, क्योंकि, कोई भी देश आर्थिक रूप से अस्थिर देश में निवेश करना नहीं चाहता है। वह भी तब जब तुर्की में वर्तमान राष्ट्रपति एर्दोगान के शासन काल में विदेशी निवेश पहले ही रसातल में पहुंच गया है।
उधर, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दिवालियेपन की कगार पर है और ग्रे लिस्ट में रखे जाने पर उसकी इकॉनमी को और नुकसान होगा। इसकी वजह से उसे आर्थिक मदद मिलना मुश्किल होगा। इससे जाहिर है उसकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा। पाकिस्तान को अगले दो साल में अरबों डॉलर के लोन की सख्त जरूरत है। अगर लोन नहीं मिलता है तो पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था बैठ जाएगी। इमरान खान ने वादा किया था कि वह पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकलवाएंगे लेकिन यह वादा खोखला साबित हुआ।
‘मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है पाकिस्तान का ग्रे लिस्ट में होना’
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कहा था कि मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि पाकिस्तान को FATF की ग्रे सूची में डाल दिया गया है। उन्होंने आगे कहा, ‘FATF आतंकवाद के लिए फंडिंग पर नजर रखता है और आतंकवाद का समर्थन करने वाले काले धन से निपटता है। हमारी वजह से पाकिस्तान FATF की नजरों में है और उसे ग्रे लिस्ट में रखा गया है। हम पाकिस्तान पर दबाव बनाने में सफल रहे हैं और तथ्य यह है कि पाकिस्तान का व्यवहार बदल गया है क्योंकि भारत की ओर से कई प्रकार से दबाव डाला गया है।’