किसी भी राज्य के शासन व्यवस्था में होमगार्ड जवानों का एक अलग ही रोल होता है। जो राज्यों में शांति व्यवस्था या शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए अपना एक अहम योगदान देते है।
रिपोर्ट:पायल जोशी
नई दिल्ली : किसी भी राज्य के शासन व्यवस्था में होमगार्ड जवानों का एक अलग ही रोल होता है। जो राज्यों में शांति व्यवस्था या शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए अपना एक अहम योगदान देते है। इसे लेकर सरकार समय-समय पर भर्तियों की वैकेंसी भी निकालती है। इसी बीच उत्तराखंड से जो खबर आ रही है, उससे होमगार्ड की तैयारी कर रहे छात्रों को बड़ा झटका लगा।
दरअसल पिछले कुछ समयों से राज्य में लगातार होमगार्ड जवानों के पदों की संख्या बढ़ाने की खबर थी। जिसमें अब पेंच फंस गया है। जिससे अब होमगार्ड पर नए पदों के लिए कोई वैकेंसी नहीं आएगा। अतिरिक्त पदों के लिए आवश्यकता पड़ने पर ही इसकी मंजूरी दी जाएगी।
बता दें कि इस समय होमगार्ड के 6500 पदों को मंज़ूरी मिल चुकी है। होमगार्ड की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के साथ ही यातायात, आपदा प्रबंधन, चारधाम यात्रा और चुनावों में अहम भुमिका है। होमगार्ड के इन कार्यों को देखते हुए दिसंबर 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने होमगार्ड मुख्यालय में हुई रैतिक परेड के दौरान इनकी संख्या 10 हजार करने की घोषणा की थी।
आपको बता दें कि इस समय तकरीबन 20 हजार से अधिक उपनल कर्मी विभिन्न विभागों में सेवा दे रहे हैं। ऐसे में वित्त विभाग ने इन पर आने वाले खर्च को देखते हुए फिलहाल नए पद बढ़ाने की सहमति नहीं दी है। यह भी कहा गया है कि अभी 6500 स्वीकृत पदों के सापेक्ष 5500 से कुछ अधिक ही होमगार्ड विभिन्न विभागों में सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में अभी नए पद बढ़ाने की मंजूरी नहीं दी जाएगी।