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बेमिसाल सुरीली आवाज की सरस्वती लता जी हुई पंचतत्व में विलीन ।

भारत रत्न लता मंगेश्कर के लिए पुरे भारत में दो दिन का राष्ट्रीय शोक । मखमली आवाज से करोड़ों के दिलों पर राज करने वाली भारत की स्वर कोकिला लता मंगेश्कर (92) जी का रविवार की सुबह महाराष्ट्र (मुंबई) के कैंडी अस्पताल में निधन हो गया । बसंत पंचमी के अगले दिन जब मां सरस्वती की प्रतिमाँओं का विसर्जन हो रहा था। तो मानो मां सरस्वती खुद अपनी बेटी को लेने धरा पर आईं थी ।

By RNI Hindi Desk 
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मखमली आवाज से करोड़ों के दिलों पर राज करने वाली भारत की स्वर कोकिला लता मंगेश्कर (92) का रविवार की सुबह महाराष्ट्र (मुंबई) के कैंडी अस्पताल में निधन हो गया । बसंत पंचमी के अगले दिन जब मां सरस्वती की प्रतिमाँओं का विसर्जन हो रहा था। तो मानो वाग्देवी खुद अपनी बेटी को लेने धरा पर आईं थी ।

लता दीदी का पार्थिव शरीर को उनके निवास स्थान प्रभुकुंज से शिवाजी पार्क में राजकीय सम्मान के  साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया । केन्द्र और यूपी सरकार ने लता दीदी के सम्मान में दो दिन के शोक की घोषणा की हैं। इस दौरान देशभर में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। उनकी आवाज ने कभी किसी की आंखे नम की तो कभी सीमा पर जवानों को संबल दिया। किसी की शरारतों को चुलबुली आवाज दी। तो किसी के प्रेम को सुर। उनकी आवाज का थम जाना ,सुर की एक सदी का ठहर –सा जाना हैं।

92 साल की लता नें अब तक लगभग 36 भाषाओं में करीब तीस हजार गीत गाए हैं। एक हजार फिल्मों में आवाज दी। यह अपने आप में एक रिकार्ड हैं।लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। लता मंगेशकर (28 सितंबर 1929 – 6 फ़रवरी 2022) भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका थीं, जिनका छः दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है।

हालाँकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायिका के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है।

विविध:

पिता दिनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय गायक थे।

उन्होने अपना पहला गाना मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था।

लता मंगेशकर को सबसे बड़ा ब्रेक फिल्म महल से मिला। उनका गाया “आयेगा आने वाला” सुपर डुपर हिट था।

लता ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति थीं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं।

लता मंगेशकर ने आनंद घन बैनर तले फ़िल्मो का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है।

पुरस्कार:

लता जी की युवावस्था की छबि

फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)

राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 and 1990)

महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 and 1967)

1969 – पद्म भूषण

1974 – दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड

1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार

1993 – फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार

1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

1997 – राजीव गान्धी पुरस्कार

1999 – एन.टी.आर. पुरस्कार

1999 – पद्म विभूषण

1999 – ज़ी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

2000 – आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

2001 – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न”

2001 – नूरजहाँ पुरस्कार

2001 – महाराष्ट्र भूषण

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