आर्थिक मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार का आर्थिक संकट कई लिहाज से काफी अलग रहा। इस बार सरकार को डिमांड को बूस्ट करने के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला को भी दुरुस्त करने की दिशा में काम करना था। उल्लेखनीय है कि कोरोना संकट की वजह से आपूर्ति श्रृंखला पूरी तरह से चरमरा गई थी।
इसी वजह से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल 2020 से जून 2020) में देश की इकोनॉमी में 23.9 फीसद का संकुचन देखने को मिला। हालांकि, सरकार ने कोरोना संकट के दौरान भी आर्थिक सुधारों से जुड़े अपने प्रयास जारी रखे और कोरोना संकट का इस्तेमाल अवसर के तौर पर करते हुए विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कई तरह के कदम उठाए।
Geojit Financial Services में अर्थशास्त्री दीप्ति मैथ्यू ने इस संदर्भ में कहा कि यह साल ना सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए काफी अलग रहा है। उन्होंने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था पहले से ही मंदी के दौर से गुजर रही थी और इस महामारी से संकट और बड़ी हो गई। हालांकि, सरकार ने इस अवसर का इस्तेमाल करते हुए ‘आत्म-निर्भर भारत’ पैकेज के तहत कुछ बहुत अहम सुधार किए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 12 मई को 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक के ‘आत्मनिर्भर भारत’ पैकेज की घोषणा की। उन्होंने इस विशेष पैकेज का ऐलान करते हुए कहा था कि ‘ये आर्थिक पैकेज देश के उस श्रमिक के लिए है, देश के उस किसान के लिए है, जो हर स्थिति, हर मौसम में देशवासियों के लिए दिन-रात परिश्रम कर रहा है। ये आर्थिक पैकेज हमारे देश के मध्यम वर्ग के लिए है, जो ईमानदारी से अपना टैक्स देता है। देश के विकास में अपना योगदान देता है।
इस पैकेज में कोविड-19 संकट का सामना कर रहे MSME सेक्टर, स्ट्रीट वेंडर्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर, मत्स्य पालन जैसे क्षेत्रों के लिए कई तरह के विशेष प्रयास किए गए।
जियोजित फाइनेंशियल की मैथ्यू के मुताबिक आवश्यक वस्तु अधिनियम से जुड़े संशोधन, किसानों के लिए राज्य की मंडियों में ही सामान बेचने की बाध्यता को समाप्त करने, निजी भागीदारी के लिए अधिक सेक्टर्स को खोलने, रक्षा जैसे क्षेत्रों में एफडीआई की सीमा में वृद्धि जैसे कदम स्वागत योग्य हैं।
हालांकि, इस बात पर भी गौर करने की जरूरत है कि इन सुधार से जुड़े कदमों का तत्काल कोई असर देखने को नहीं मिलेगा। इन प्रयासों का असर मध्यम अवधि से लेकर लंबी अवधि के दौरान देखने को मिल सकता है।
मैथ्यू ने कहा कि 10 और प्रमुख कंपनियों को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) Scheme के तहत लाए जाने से विदेशी निवेश को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। साथ ही इससे घरेलू स्तर की कंपनियों को भी फायदा होगा।
वहीं, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट वृंदा जागीरदार ने इस वर्ष डिमांड को बूस्ट करने के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला को दुरुस्त करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को संतुलित करार दिया। उन्होंने भी इस कड़ी में PLI को काफी अहम बताया। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों, मैन्युफैक्चरिंग और टैक्स सिस्टम को लेकर किए गए प्रयासों से देश की इकोनॉमी को बल मिला है। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत MSME सेक्टर के लिए घोषित तीन लाख करोड़ रुपये के ECLG Scheme को भी काफी महत्वपूर्ण करार दिया।
रेटिंग एजेंसी Crisil में चीफ इकोनॉमिस्ट डीके जोशी ने इस साल किए गए श्रम सुधारों, कृषि सुधारों और PLI Scheme को काफी अहम बताया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इन सुधारों का काफी महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को मिल सकता है।