पीएम मोदी आज दोपहर दिल्ली के करिअप्पा परेड ग्राउंड में आयोजित एनसीसी कैडेट्स की रैली में शामिल हुए। रैली के दौरान प्रधानमंत्री मोदी एनसीसी के सलामी गारद का निरीक्षण किया और पीएम ने एनसीसी कैडेटों की परेड भी देखा। इस दौरान पीएम ने कहा कि, जो लोग काम चलाने वाली प्रवृत्ति के होते हैं उनके लिए कल कभी नहीं आता। इस स्थिति को मेरे आज का युवा भारत, मेरे भारत का युवा, स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है। वो छटपटा रहा है कि स्वतंत्रता के इतने साल हो गए, चीजें कब तक ऐसे ही चलती रहेंगी?
वो देश बदलना चाहता है, स्थितियां बदलना चाहता है। इसलिए उसने तय किया है कि अब टाला नहीं जाएगा, अब टकराया जाएगा, निपटा जाएगा। यही है युवा सोच, यही है युवा मन, यही है युवा भारत। कश्मीर भारत की मुकुटमणि है। 70 साल बाद वहां से आर्टिकल 370 को हटाया गया। हम जानते हैं कि हमारा पड़ोसी देश हमसे तीन-तीन युद्ध हार चुका है।
हमारी सेनाओं को उसे धूल चटाने में हफ्ते-दस दिन से ज्यादा समय नहीं लगता। आज युवा सोच है। युवा मन के साथ देश आगे बढ़ रहा है और इसलिए वह सर्जिकल स्ट्राइक करता है, एयर स्ट्राइक करता है और आतंक के सरपरस्तों को उनके घर में जाकर सबक सिखाता है। इसका परिणाम आप भी देख रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद से स्वतंत्र भारत ने पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के हिंदुओं, सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों से ये वादा किया था कि अगर उनको जरूरत होगी तो वो भारत आ सकते हैं। यही इच्छा गांधी जी की थी और यही 1950 में नेहरू-लियाकत समझौते की भी थी।
स्वतंत्रता के बाद से स्वतंत्र भारत ने पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के हिंदुओं, सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों से ये वादा किया था कि अगर उनको जरूरत होगी तो वो भारत आ सकते हैं। यही इच्छा गांधी जी की थी और यही 1950 में नेहरू-लियाकत समझौते की भी थी। दशकों पुरानी समस्याओं को सुलझा रही हमारी सरकार के फैसले पर जो लोग सांप्रदायिकता का रंग चढ़ा रहे हैं, उनका असली चेहरा भी देश देख चुका है और देख रहा है। मैं फिर कहूंगा- देश देख रहा है, समझ रहा है। देश चुप जरूर है, लेकिन सब समझ रहा है।
दिल्ली में 17 सौ से ज्यादा कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को दशकों तक उनके घर का मालिकाना हक नहीं मिला था। दिल्ली के 40 लाख लोगों के जीवन से, उनकी सबसे बड़ी चिंता को दूर कर दिया है। जिसका लाभ हिंदुओं को होगा और मुस्लिमों को भी, सिखों को होगा और ईसाइयों को भी।
हमारा कर्तव्य है कि हम अपने जीते-जी इन समस्याओं से देश को मुक्त करें।
मैं आने वाली पीढ़ियों के लिए, देश के युवाओं के भले के लिए सारे राजनीतिक प्रपंचों का हिम्मत से सामना कर रहा हूं, ताकि देश कामयाब हो सके। मेरे लिए देश की प्रतिष्ठा ही सबकुछ है। यह लोग बदलते हुए भारत को समझ ही नहीं पाए। हम समस्याओं का समाधान भी कर रहे हैं और बेड़ियों को भी तोड़ रहे हैं। साल 2022 में जब हम अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाएंगे, तब हमें अपने देश को इन समस्याओं से मुक्त कर देना है।