रिपोर्ट: सत्यम दुबे
कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं में मानव अधिकारों के उल्लंघन की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सौंपने संबंधी आदेश को वापस लेने से इंकार करते हुए इस बारे में राज्य सरकार का आवेदन खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने मानवाधिकार आयोग को एक समिति गठित कर राज्य में चुनाव बाद हिंसा के दौरान कथित मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं की जांच करने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बड़ा हमला बोला है। स्मृति ईरानी ने कहा कि पहले तो उनके हाथ खून से सने हुए थे और अब दामन पर भी महिला के अत्याचार के दाग हैं। उन्होने आगे कहा कि हमारे लोकतंत्र में शायद पहली बार देख रही हूं कि एक मुख्यमंत्री राज्य में लोगों को सज़ा-ए-मौत होते इसलिए देख रही हैं, क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री के पक्ष में वोट नहीं किया।
स्मृति ईरानी ने आगे कहा कि, “पहली बार ऐसा हुआ है देश में कि एक चुनाव के बाद, परिणाम निकलने के बाद हज़ारों की तादाद में लोग अपना मकान, अपना गांव छोड़कर बॉर्डर तक क्रॉस कर रहे हैं और रहम की भीख मांग कर रहे हैं, ये कहकर कि हम अपना धर्म बदलने को तैयार हैं। लेकिन ममता बनर्जी और तृणमूल (कांग्रेस) हमें बख्श दे।”
स्मृति ने आरोप लगाया कि बंगाल में महिलाओं को घरों से उठाकर सार्वजनिक तौर पर उनका रेप किया जा रहा है। चाहे वो दलित महिला हो, आदिवासी हो। उन्होंने कहा, “एक साठ साल की महिला ने सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाज़ा खटखटाया कि मेरे 6 साल के पोते के सामने मेरा रेप कर दिया। सिर्फ इसलिए क्योंकि मैं भारतीय जनता पार्टी की कार्यकर्ता और समर्थक हूं. और कितनों का रेप होते मुख्यमंत्री ममता बनर्जी देखेंगी।”
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद BJP ममता सरकार पर हमलावर है। स्मृति ईरानी ने ममता बनर्जी के इस दावे के लिए उनकी आलोचना की कि उनकी सरकार के तहत हिंसा का बीजेपी का आरोप एक नौटंकी था। उन्होंने कहा, “ईमानदार मुख्यमंत्री को न्याय सुनिश्चित करने के लिए खुद पर इसे लागू करना चाहिए। लेकिन, मैंने हमेशा कहा है कि राजनीतिक यातना, हत्या और बलात्कार टीएमसी के राजनीतिक हथियार हैं और चुनाव के बाद बंगाल में हो रही हिंसा उनके खिलाफ मेरे रुख की पुष्टि करती है।”