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सभी भाजपा शासित राज्यों में सामान नागरिक संहिता कानून लाएंगे: अमित शाह

दयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है पार्टी अब भी नीतीश कुमार के पत्र की भावना के साथ हैं। पार्टी के घोषणा पत्र में यह बात शामिल रही है कि समान नागरिक संहिता थोपा नहीं जाना चाहिए।

By RNI Hindi Desk 
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हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह  ने भोपाल में यह कहा कि भाजपा शासित राज्यों में वह समान नागरिक कानून संहिता   लाएंगे। इसके पूर्व उत्तराखंड में भी उन्होंने चुनाव के ठीक पहले समान नागरिक संहिता यानी यूनिफार्म सिविल कोड की बात कही थी। बिहार में एनडीए की सरकार है। ऐसे में अमित शाह के वक्तव्य के निहितार्थ को बिहार में भी तलाशा जा रहा है

समान नागरिक संहिता के मसले पर भाजपा के सामने जदयू की दीवार आ गई है। भाजपा इसे लागू करने के पक्ष में है तो जदयू इसे पांच वर्ष पहले ही अस्वीकार कर चुका है। महागठबंधन की सरकार में रहते हुए ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनवरी 2017 में जदयू का स्टैंड साफ कर दिया था।

राष्ट्रीय विधि आयोग के अध्यक्ष डा. बीएस चौहान को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से लिखे पत्र में नीतीश कुमार ने कहा था कि समान नागरिक संहिता को थोपने के बजाय इसपर सबकी सहमति जरूरी है। विभिन्न धर्मों के समूह खासकर अल्पसंख्यक समाज के लोगों से विमर्श जरूरी है क्योंकि धर्म की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी आवश्यक है

जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है पार्टी अब भी नीतीश कुमार के पत्र की भावना के साथ हैं। पार्टी के घोषणा पत्र में यह बात शामिल रही है कि समान नागरिक संहिता थोपा नहीं जाना चाहिए। इसलिए अटल बिहारी वाजपेयी के समय गुड गवर्नेंस का जो एजेंडा था उसमें इस मसले को हटा दिया गया था। इस बीच जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि समान नागरिक संहिता के लिए देश अभी तैयार नहीं है

मुख्यमंत्री का कहना है कि यूसीसी को लोगों के कल्याणार्थ होने वाले सुधार के रूप में देखा जाना चाहिए न कि एक राजनीतिक इंस्ट्रूमेंट के रूप में इसे तेजी से थोपने वाली बात हो। वह भी लोगों की इच्छा जाने बगैर। सभी हितधारकों को इस बारे में जानकारी होना जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा था कि जदयू इस विचार को लेकर दृढ़ है कि लोकतंत्र का आधार रचनात्मक विमर्श है। इसके तहत सभी तरह के धर्म से संबद्ध लोगों के साथ बातचीत आवश्यक है। यह इसलिए भी जरूरी है कि समाज में बहु संस्कृति और विभिन्न किस्म के धर्म को मानने वाले लोग है। यूसीसी पर संसद व विधानसभा में चर्चा के साथ-साथ विभिन्न फोरम व सिविल सोसायटी के स्तर पर चर्चा होनी चाहिए

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