भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म धारण करते हैं और श्मशान में निवास करते है। कई साधु शिव की आरती भस्म से ही करते है। आखिर इसके पीछे क्या कारण है ?
दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। दरअसल जब माता सती बिना निमंत्रण के ही अपने पिता दक्ष के यहां यज्ञ के चली गई और उन्होंने जब वहां शिव का अपमान देखा तो उनसे रहा नहीं गया।
उसी पल और उसी क्षण उन्होंने अपने शरीर को उसी अग्नि के हवाले कर दिया था। जब शिव को ये ज्ञात हुआ तो वो सती के वियोग में भटकने लगे।
अग्नि से अपनी पत्नी सती के शव को निकाला और वह क्रोधित, दुखी एवं बैचेन होकर इस ब्रह्मण्ड में विचरण करने लगे।
जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के शरीर के टुकड़े किए और माता के शरीर के अंग गिरे वहां वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए।
इसके बाद विष्णु ने अपनी माया से उसे भस्म में बदल दिया था और शिव ने अपनी प्रिया की निशानी के तौर पर उस भस्म को अपने शरीर पर मल लिया। यही कारण है कि शिव भस्म धारण करते है।