शनि जयंती हिंदू पंचांग के ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस दिन शनिदेव की पूजा की जाती है।
जिन लोगों पर शनि की साढे़साती, ढैय्या आदि शनि दोषों का प्रकोप चल रहा है, उनके ये दिन विशेष महत्व रखता है।
इस साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या 22 मई, शुक्रवार को है। ज्येष्ठ महीने की अमावस्या के दिन ही शनि जयंती मनाई जाती है।
शनि को क्रूर एवं पाप ग्रहों में गिना जाता है और अशुभ फल देने वाला माना जाता है लेकिन असल में ऐसा है नहीं।
शनि न्याय करने वाले देवता हैं और कर्म के अनुसार फल देने वाले कर्मफलदाता हैं। अमावस्या तिथि 21 मई को रात 9.35 बजे से प्रारंभ होगी और 22 मई रात्रि 11.07 बजे तक रहेगी।
इस दिन सत्यवान-सावित्री की यमराज के साथ पूजा की जाती है। मान्यता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापिस ले आई थीं।