हमारे भवन के वास्तु का हमारे जीवन से सीधा सम्बन्ध है। घर में रहने वाले लोगों पर घर के वास्तु का असर होता है। दिशाएं ऊर्जा रूप में हमारे मन और शरीर को प्रभावित करती है।
ऐसे में शयनकक्ष के वास्तु का हमारी शांति और सुकून से गहरा संबंध है। लेकिन कई बार हम शयन कक्ष के निर्माण में वास्तु की नियमो की अनदेखी कर देते है जिसका खामियाजा घर के लोगों को उठाना पड़ जाता है।
वास्तु के नियम के अनुसार शयनकक्ष में सजावट के लिए आइना नहीं होना चाहिए। इससे स्त्री की सेहत पर असर पड़ता है। आइना रखना मज़बूरी है तो इसे रात को सोते समय ढक दीजिये।
दूसरी जो सबसे इम्पोर्टेन्ट बात है कि शयन कक्ष में कभी भी जानवरों और हिंसा से जुड़ी तस्वीर नहीं रखनी चाहिए। यह अशुभ माना गया है। इससे पति पत्नी में तनाव होने की संभावना होती है।
गृह स्वामी का शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम कोण में होना चाहिए क्योंकि यह दिशा स्थिर है। उससे स्वामी का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
रात को सोते समय सिर दक्षिण में होना चाहिए और पैर उत्त्तर में। वहीं इस बात का भी ध्यान रखे की जिस पलंग पर आप सो रहे है वो कक्ष के दरवाज़े से सटा हुआ नहीं होना चाहिए।