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माता-पिता से मिले संस्कार संतान को बनाते हैं सफल, जानें आचार्य चाणक्य की बताई बातें

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

रिपोर्ट: सत्यम दुबे

नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के उस नीति की बात करेंगे, जिसमें उन्होने बताया है कि माता-पिता से मिले संस्कार से बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

आचार् चाणक्यकी की बात करें तो वो खुद भी एक योग्य शिक्षक थे। उनके जीवन का बड़ा हिस्सा विद्यार्थियों के बीच गुजरा। आचार्य चाणक्य संस्कारों की अहमियत को जानते थे। उनका मानना था कि संस्कार के बिना ज्ञान का सही प्रयोग संभव नहीं है। संस्कार से ज्ञान का महत्व बढ़ जाता है।

उन्होने कहा है कि जीवन में यदि सफल और महान बनना है तो संस्कारवान बनना ही होगा। संतान को संस्कार माता पिता से मिलते हैं। इसलिए संतान के लालन पालन में संस्कारों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों पर माता पिता के आचरण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। वे घर में ही रह कर सीखते हैं। इसलिए बच्चों के मामले में माता पिता को अधिक सजग और गंभीर रहना चाहिए और इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

आइये जानते हैं चाणक्य की बताई बातें…

आचार्य चाणक्य के अनुसार बच्चों में आरंभ से ही नैतिक गुणों के बारे में बताना चाहिए। बच्चों को महापुरुषों के बारे में बताना चाहिए। बच्चों को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। उन्होने हिदायत दी है कि माता पिता को बच्चों के सामने सदैव अच्छा आचरण करना चाहिए। भाषा शैली का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ ही दूसरों के साथ भी उचित व्यवहार करना चाहिए। क्योंकि जो माता पिता करते हैं, संतान भी वही करने का प्रयास करती है।

 

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