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शक्तिपीठ नैना देवी मंदिर के बारे में जाने इतिहास,पढ़ें

 आद्योगिक नगरी के नाम से देश-दुनिया में पहचाने जानें वाला कानपुर महानगर, क्रांतिकारियों के साथ-साथ धार्मिक नगरी के रूप में भी जाना जाता है। यहां दर्जनों एतिहासिक मंदिर हैं, जहां हरदिन सैकड़ों भक्त आते हैं और हाजिरी लगाकर मन्नत मांगते हैं। हम आपको जेके मंदिर (राधाकृष्ण मंदिर) से रूबरू कराने जा रहे हैं।

By RNI Hindi Desk 
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आद्योगिक नगरी के नाम से देश-दुनिया में पहचाने जानें वाला कानपुर महानगर, क्रांतिकारियों के साथ-साथ धार्मिक नगरी के रूप में भी जाना जाता है। यहां दर्जनों एतिहासिक मंदिर हैं, जहां हरदिन सैकड़ों भक्त आते हैं और हाजिरी लगाकर मन्नत मांगते हैं। हम आपको जेके मंदिर (राधाकृष्ण मंदिर) से रूबरू कराने जा रहे हैं।

यहां वर व कन्या पक्ष के परिजन दोनों को लेकर आते हैं और राधाकृष्ण की कृपा से चट मंगनी पट ब्याह हो जाते हैं। मान्यता है कि यहां पर तय हुई शादी की डोर कभी नहीं टूटती। नवदंपति पूरा जीवन खुशी-खुशी जीते हैं।

श्री राधाकृष्ण मंदिर का निर्माण पचास वर्ष पूर्व सिंघानिया परिवार के जेके ट्रस्ट ने करवाया था और इसे जेके मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर प्राचीन और नवीन वास्तुकला के अद्वितीय मिश्रण को प्रस्तुत करता है। मंडपों की छत ऊंची है जिससे हवा और प्रकाश आसानी आ सके। इस मंदिर में प्रमुख हिंदु देवी देवताओं को समर्पित पांच मंदिर हैं जिसमें राधा और कृष्ण प्रमुख हैं। इसके अलावा हनुमान, लक्ष्मी नारायण, अर्धनारीश्वर और नर्मदेश्वर मंदिर भी हैं जो सुंदर नक्काशी से सजी हुई मूर्तियां ऊंची छत वाले मंडप के नीचे रखी गयी हैं।

म्ंदिर मंदिर में दर्शन के लिए आए भक्त कमल मिश्रा बताते हैं कि यहां पर शाम के वक्त शादी की पहली रश्म के तौर लड़का व लड़की की दिखाई होती है। जो भी जोड़े आते हैं, श्रीराधाकुष्ण उनकी पूरे जीवन की गांठ बांधते हैं। कमल बताते हैं कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिर दूधिया रोशनी से नहा जाता है और देश ही नहीं विदेश से भक्त यहां आकर माथा टेकते हैं। कमल बताते हैं कि श्री राधाकृष्ण मंदिर एक शानदार पार्क और झील के पास स्थित है। रात में मंदिर रोशनी से नहा जाता है और झील के पानी में इसका प्रतिबिंब एक सुहावना दृश्य प्रस्तुत करता है।

कहते हैं, किसी भी घर की सुख-समृद्धि में वास्तु का बहुत अहम स्थान होता है। कहते हैं कि सही वास्तु से भरपूर सकारात्मक ऊर्जा मिलती है जो सफलता के लिए जरूरी होती है। जेके मंदिर घूमकर आप दिशाओं और पंच तत्वों के सही संयोजन को सीख सकते हैं। इन्हें आप अपने घर में इस्तेमाल कर सकते हैं। बताते हैं कि मंदिर का निर्माण पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु व आकाश) के सही क्रम से किया गया है। इसी के चलते यहां आने वाले भक्त को ऊर्जा अपने आप मिल जाती है।

नैनीताल स्थित नैनी झील के उत्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर अत्यंत प्राचीन है और 1880 में भूस्खालन से यह मंदिर नष्टत हो गया था, लेकिन बाद में इस मंदिर का निर्माण फिर से किया गया। देवी का ये मंदिर शक्तिपीठ में शामिल है और इसी कारण यहां देवी के चमत्कार देखने को मिलते हैं। नैना देवी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और अपनी मनोकामनाएं उनके समक्ष रखते हैं। मान्यता है कि यहां देवी के दर्शन मात्र से नेत्र से जुड़ी समस्याएं लोगों की दूर हो जाती है। नेत्र की समस्याएं ही क्यों? आईए आपको बताएं।

जब भगवान शिव देवी सती की मृत्यु के बाद उन्हें कैलाश पर्वत ले जा रहे थे तो उनकी एक आंख नैनीताल में गिर पड़ी थी, जबकि दूसरी आंख हिमाचल के बिलासपुर में गिरी थीं। यही कारण है कि देवी का ये मंदिर शक्तिपीठ में शामिल हैं। पुराणों में वर्णित है कि देवी के शरीर का अंग जहां भी गिरा वहां शक्तिपीठ की स्थासपना हुई। इस वजह से नैनीताल का नैना देवी मंदिर 64 शक्तिपीठ में शामिल है। इस मंदिर के अंदर नैना देवी मां की दो नेत्र बने हुए हैं। यही कारण है कि नेत्र से जुड़ी समस्याएं यहां ठीक होती है। वहीं यहां मांगी जाने वाली हर मुराद भी पूरी होती है। मंदिर के अंदर नैना देवी के संग भगवान गणेश जी और मां काली की भी मूर्तियां हैं।

 

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