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मंगल ग्रह की अन्य ग्रहों के साथ युति का फल कैसा होगा: समझिये

By RNI Hindi Desk 
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वैदिक ज्योतिष में हर ग्रह की अपनी ऊर्जा होती है और वो स्थान, राशि और नक्षत्र के अनुसार अपना फल करता है, एक ग्रह आप अपना फल किस प्रकार देगा ये कई फैक्टर्स पर निर्भर रहता है और उनमे से एक है अन्य ग्रहो के साथ युति, अब ये एक ग्रह के साथ भी हो सकती है और 2 ग्रह के साथ भी तो आज हम बात करने वाले है मंगल ग्रह की अन्य ग्रहों के साथ युति का फल कैसा होगा !

सूर्य मंगल युति –

सूर्य ऊर्जा का कारक है और मंगल साहस है, दोनों को पाप ग्रह का दर्जा प्राप्त है, मंगल ग्रहों के मंत्रिमंडल में सेनापति है और दोनों पाप ग्रह है तो ऐसे में इन दोनों ग्रहों की युति अच्छे फल देने वाली नहीं मानी गयी है, फलित में इन दोनों की युति को अंगारक योग बोला जाता है। सूर्य मंगल की युति हो तो जातक अत्यधिक क्रोधी हो जायेगा, जल्दबाजी करेगा और फालतू के झगडे मोल लेगा।

चंद्र मंगल युति –

ज्योतिष में मंगल अग्नि का कारक है, मंत्रिमंडल में सेनापति है और मनुष्य में क्रोध का कारक है वही चन्द्रमा मन का कारक है तो ऐसे में जब चंद्र और मंगल की युति होती है तो जातक साहसी हो जाता है, ज्योतिष में इसे लक्ष्मी योग बोला जाता है। जातक महत्वकांशी होगा लेकिन अगर मंगल की पोजीशन अच्छी नहीं हो या बलवान नहीं हो तो ब्लड सर्कुलेशन ठीक नहीं होगा और रक्त सम्बन्धी बीमारियां होगी।

बुध मंगल युति –

ज्योतिष में बुध को तीव्र बुद्धि वाला माना गया मंगल तेज है और साहस है, तो इन दोनों ग्रहो की युति के कारण जातक अत्यधिक बुद्धिमान होगा, उसे बहुत देर तक बैठकर पढ़ने की आदत होगी, बुध मीडिया का कारक है तो ऐसा जातक मीडिया में अपना कैरियर बनायेगा, बुध वाणी का कारक तो वकील, लेखक और ज्योतिषी भी होगा।

इस युति में एक बात यह भी देखी जाती है की अगर ग्रह पर पाप प्रभाव हो तो जातक झगड़ा करने वाला भी हो सकता है, वाद विवाद में नाम आना वही कई बार अदालती पचड़े में भी जातक पड़ जाता है, शुक्र अगर बलवान नहीं हो तो पत्नी से वाद विवाद की सम्भावना भी बनती है।

बृहस्पति मंगल युति –

ज्योतिष में बृहस्पति ज्ञान का कारक है, वेद शास्त्र, मंत्र इन सब का कारक बृहस्पति है और मंगल के साथ इनकी युति अच्छा परिणाम देने वाली मानी गयी है, इस युति के कारण जातक विद्वान होगा, धार्मिक होगा और शास्त्रों का अध्ययन करने वाला होगा, ऐसा व्यक्ति हमेशा साधुओं का आदर करता है और उनसे जुड़ाव महसूस करता है।

ऐसा जातक धर्म को आगे रखकर ही जीवन में कार्य करता है, अगर बलवान युति हो तो ऐसा व्यक्ति उच्च कोटि का साधक और ज्ञानी होगा, धर्म के साथ साथ उसे राजनीति की भी समझ होगी, धीर गंभीर और बड़ा अच्छा लीडर ऐसा व्यक्ति हो जाता है।

शुक्र मंगल युति –

फलित में शुक्र को भोग और भौतिक सुख सुविधाओं का कारक माना गया है वही मंगल अग्नि का कारक है इसलिए इस युति का शुभ नहीं बल्कि अशुभ प्रभाव देखा जाता है, दरअसल शुक्र एक स्त्री ग्रह है और मंगल के साथ आने पर जातक अत्यधिक कामुक हो जाता है, ऐसा व्यक्ति सैदेव विपरीत लिंग के बारे में ही सोचता रहता है।

वैवाहिक जीवन में यह युति ठीक नहीं कहीं जा सकती है, ऐसा व्यक्ति के एक से अधिक सम्बन्ध होते है और वो भटकता रहता है, ये बात अलग है की अगर यह युति किसी भी प्रकार से कोई राजयोग अगर बना रही है तो अथाह संपत्ति, वाहन सुख होगा लेकिन जातक कामी होगा।

शनि मंगल युति –

ज्योतिष में शनि और मंगल दोनों ग्रहो को पाप ग्रह का दर्जा प्राप्त है और यह युति जातक के लिए अशुभ परिणाम लेकर आती है, ऐसा व्यक्ति हमेशा छोटी छोटी चीज़ो से दुःखी होता रहता है और उसके जीवन में कभी स्थिरता नहीं आती है, नौकरी हो व्यापार हो या वैवाहिक जीवन हो, इनमे कुछ न कुछ कष्ट बना रहता है।

शास्त्र मत है की इस युति में जन्मा जातक झगड़ालू, अस्थिर बुद्धि और दुःखी हो,यहां एक बात और यह भी है की शनि मशीन का कारक है और मंगल तकनीक का, तो ऐसे व्यक्ति को इन सबकी अच्छी समझ होती है और अच्छा इंजीनियर ऐसा जातक हो सकता है, शत्रु होते है पर ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाते है।

राहु मंगल युति –

राहु ज्योतिष में छल, कपट और भ्रम का कारक है, राहु राजनीति का कारक है लेकिन धोखा देता है, ऐसे में मंगल के साथ इसकी युति फलित में “अंगारक योग ” का निर्माण करती है, ऐसा व्यक्ति चालाक, धोखेबाज, अतिक्रोधी और षड्यंत्रकारी होगा, ऐसे व्यक्ति पर भरोसा करना नुकसानदेह होता है।

इस युति का सबसे बड़ा नुकसान तब होता है जब यह युति लग्न और सप्तम में हो, ऐसे में जातक का वैवाहिक जीवन कष्टकारी हो जाता है और उसके संबंध अपने जीवनसाथी से कभी मधुर नहीं रहते है और तलाक़ तक की नौबत आती है, ऐसा व्यक्ति हिंसा भी कर सकता है।

केतु मंगल युति –

ज्योतिष में केतु को आकस्मिक घटनाओं और आध्यात्म का कारक माना गया है, मंगल के साथ इस ग्रह की युति के परिणाम शुभ नहीं कहे जा सकते है, दुर्घटना का भय वही आठवें भाव में यह युति हो तो अत्यंत कष्टकारी, भाइयों के लिए अशुभ होगा, ऐसा जातक गिरता पड़ता रहता है वही ज़मीन जायजाद के मामलो में भी सफलता नहीं मिलती।

इस युति में अगर केतु शुभ होकर बलवान हो तो ये जातक को उच्च स्तर की आध्यात्मिकता देता है, जातक के जीवन पर संन्यासी लोगो का बड़ा प्रभाव होता है, मंदिरों में अथवा तो साधू संतो की टोली में ये लोग आपको दिखाई देंगे, अगर मंगल भी बलवान हो तो धार्मिक वक्ता और बहुत बड़ा संन्यासी भी जातक बन जाता है।

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