रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के उस नीति की बात करेंगे, जिसमें उन्होने बताया है कि खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए इन बातों का रखें ध्यान, नहीं होगा मनमुटाव…
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में बताया है कि पति- पत्नी का रिश्ता पवित्र होता है। इस रिश्ते में क्रोध की कोई जगह नहीं है। क्रोध किसी भी रिश्ते को समाप्त कर सकता है। क्रोध करने से परिवार का माहौल खराब हो जाता है और दांपत्य जीवन में परेशानियां आने लगती हैं।
इसके बाद पति-पत्नी के रिश्ते में भरोसा ही सबसे मजबूत डोर होती है, जिसको लेकर उन्होने कहा है कि किसी भी रिश्ते की नींव भरोसा ही होता है। पति- पत्नी को एक- दूसरे पर पूरा भरोसा करना चाहिए। जिस रिश्ते में भरोसा नहीं होता है, वो रिश्ता बहुत जल्दी टूट जाता है।
इसके बाद आचार्य चाणक्य ने बताया है कि दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए धैर्य का होना बहुत जरूरी होता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार कभी भी जीवन में विपरित परिस्थितियां आ जाती हैं। उन विपरित परिस्थितियों से निपटने के लिए धैर्य का होना बहुत जरूरी है।
आचार्य चाणक्य ने आगे बताया है कि पति- पत्नी को एक- दूसरे से कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। झूठ किसी भी रिश्ते को पल भर में तोड़ सकता है। झूठ की वजह से पति- पत्नी के रिश्ते में कड़ावहट आने लगती है।
आखिर में उन्होने बताया है कि दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाने के लिए खर्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पति- पत्नी को आय के अनुसार ही धन- खर्च करना चाहिए।