ग्रहों में शनिदेव को कर्मों का फल देना वाला ग्रह माना गया है. शनिदेव एकमात्र ऐसे देव हैं जो न्याय के कारक माने जाते है।
हिन्दू धर्म की एक मान्यता के अनुसार शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए लोग हर शनिवार उन्हें तेल चढ़ाते हैं।
माना जाता है कि शनिदेव को तेल चढ़ाने से ये अपने भक्तों की पीड़ा हर लेते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है।
पुराणों में प्रचलित एक कथा के अनुसार, रामायण काल में एक समय शनि देव को अपने बल और पराक्रम पर घमंड हो गया था।
उस काल में भगवान हनुमान के बल और पराक्रम की कीर्ति चारों दिशाओं में फैली हुई थी। हनुमानजी अपने स्वामी श्रीराम की भक्ति में लीन बैठे थे, तभी वहां शनिदेव आ गए और उन्होंने भगवान हनुमान को युद्ध के लिए ललकारा।
दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ, जिसके अंत में परिणाम स्वरूप शनि देव की हार हुई। हनुमानजी ने शनि देव पर ऐसे तीखे प्रहार किए जिस कारण शनि देव के शरीर पर काफी घाव बन गए।
वह पीड़ा उनसे सहन नहीं हो रही थी, इसलिए चिरंजीवी हनुमानजी ने उनके शरीर पर तेल लगाकर उनकी पीड़ा को कम किया।
जिसके बाद से शनिदेव को तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। शनिदेव पर जो भी व्यक्ति तेल चढ़ाता है, उसके जीवन की समस्त परेशानियां दूर हो जाती हैं।