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Chanakya Niti: अगर आपके करीब हैं ये 3 चीजें तो उठाना पड़ सकता है नुकसान, जानें क्या कहती है आचार्य चाणक्य की नीति

Chanakya Niti: If these 3 things are close to you, then you may have to bear the loss; आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर आपके करीब ये तीन चीजें है तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए आपको इन तीन चीजों से दूरी बनाने की जरूरत है। अगर आप इसके करीब होते हैं तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

By Amit ranjan 
Updated Date

नई दिल्ली : आचार्य चाणक्य ने जीवन से जुड़े ऐसे कई गूढ़ रहस्य बताये है, जिसका अनुसरण करने मात्र से ही आपका जीवन सफल हो जाएगा। हालांकि उनके कई नियम बेहद ही जटिल और कठिन होते है। इसके बावजूद भी कई लोग आचार्य चाणक्य के नीतियों का पालन करते है। आज हम आपके सामने आचार्य चाणक्य की एक ऐसी ही नीति का जिक्र करेंगे, जो आपको किसी भी भारी नुकसान से बचा सकता है।

आपको बता दें कि आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से ऐसी तीन चीजों के बारे में बताया है जिनसे ना तो ज्यादा दूरी बनाकर और ना ही बहुत पास रहना चाहिए।

अत्यासन्ना विनाशाय दूरस्था न फलप्रदा:।

सेवितव्यं मध्याभागेन राजा बहिर्गुरू: स्त्रियं:।।

इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि आर्थिक या सामाजिक रूप से शक्तिशाली शख्स, आग और स्त्री के बहुत करीब नहीं आना चाहिए और ना ही इनसे बहुत दूर जाना चाहिए।आचार्य चाणक्य का कहना है कि सामाजिक रूप से बलवान शख्स से ज्यादा दूरी बनाने से उनसे मिलने वाले फायदे दूर हो जाते हैं। ऐसे शख्स के ज्यादा करीब होने से कई बार सम्मान को ठेस पहुंचने, दंड या षडयंत्र का शिकार होने या उनके चंगुल में फंसने का डर बना रहता है।

आचार्य चाणक्य कहते हैं सामाजिक और आर्थिक रूप से आपको फायदा पहुंचाने वाला शक्तिशाली शख्स अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसलिए ऐसे व्यक्ति से ज्यादा नजदीकी अच्छी नहीं और ज्यादा दूरी बनाकर रहना भी ठीक नहीं होता है।

अग्नि को लेकर आचार्य चाणक्य ने कहा कि बर्तन से ज्यादा दूरी रखने पर खाना नहीं बन सकता है। चाणक्य ने आगे कहा कि अग्नि से ज्यादा दूर होने से अन्य प्रकार के लाभ जरूर होंगे। हालांकि इसके ज्यादा करीब जाने पर शरीर के अंग जरूर जल सकते हैं।

आचार्य चाणक्य स्त्री को लेकर कहते हैं कि इनके ज्यादा करीब जाने से शख्स को ईर्ष्या और ज्यादा दूरी बनाने पर नफरत मिलती है. वहीं चाणक्य कहते हैं कि स्त्री को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए, क्योंकि इस सृष्टि के सृजन में जितना योगदान पुरुष का है उतना ही स्त्री का भी है।

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