नये साल का आगमन हो गया है तो ऐसे में हर व्यक्ति यह जानने को उत्सुक है की उसके लिए नववर्ष कैसा रहेगा ? नौकरी, व्यापार में बनायीं गयी योजनायें सफल होगी ही नहीं वही आपके अपने प्रियजनो के साथ कैसे रिश्ते होंगे ! तो जानते है की मकर राशि के जातको के लिए साल 2020 क्या क्या नयी उम्मीद लेकर आया है।
साल की शुरुआत में मंगल ग्रह वृश्चिक राशि में है जो की उनकी खुद की सामान्य राशि है, राहु मिथुन में वही केतु धनु में है, शनि सूर्य बुद्ध और गुरु भी वही है, शुक्र मकर राशि में है वही साल के पहले दिन चन्द्रमा कुम्भ राशि में होगा।
वर्ष पर्यन्त सभी ग्रहो की स्तिथि में लगातार बदलाव होगा लेकिन शनि मकर में, गुरु धनु में { बीच में कुछ समय वो मकर में होंगे }, राहु 23 सितम्बर को वृष में जायेगे वही उसी दिन केतु वृश्चिक में भी होंगे वही सूर्य हर महीने 1 राशि में गोचर करेंगे। बुद्ध शुक्र और मंगल अपनी अपनी गतियों के साथ राशियों में परिभ्रमण करेंगे।
हमारे मनीषियों ने राशियों को 12 विभाग में विभाजित किया है, मेष राशि से लेकर मीन राशि तक ये 12 राशियां कालपुरुष कुंडली के 12 भावो को दर्शाती है तो उसी क्रम में यह राशि दसवीं राशि है और कालपुरुष की कुंडली में यह दसवें भाव को दर्शाती है। इस राशि का स्वामी शनि है और इस राशि के जातक काफी मेहनती होते है, मकर में चंद्र बेहद प्रसन्न रहता है इसलिये इस राशि के जातक मनोरंजन और भौतिक सुख सुविधाओं में रूचि रखने वाले होते है।
इनको हर काम बेहद सलीके से करना पसंद है और इसके लिये ये किसी से बहस करने से भी परहेज़ नहीं करते है, मकर में बुद्ध जातक को अधिक बोलने वाला बना देता है वही शुक्र हो तो जातक को कला और अध्ययन करने वाला बना देता है।
सबसे पहले बात करते है की इस राशि के जातको के लिए साल 2020 कैरियर और व्यापार के लिहाज से कैसा रहेगा ? ज्योतिष में कार्य स्थल का विचार दशम स्थान से किया जाता है, वर्ष की शुरुआत में दशम का स्वामी शुक्र लग्न में स्थित है जिसके कारण अपनी मेहनत का परिणाम आपको मिलने की सम्भावना है वही व्यापारी वर्ग के लिये भी समय अनुकूल रहेगा।
24 जनवरी के बाद शनि का गोचर मकर राशि में होगा जिसके कारण आप साढ़े साती के मध्य के अंतराल में होंगे जिसके कारण आपको यात्राओं से लाभ होगा, विदेश से कोई ऑफर आ सकता है वही व्यापारी वर्ग को नये आर्डर प्राप्त होंगे।
शनि की दृष्टि सप्तम भाव पर जा रही है जिसके कारण साझीदारी में अगर कोई काम शुरू करने की सोच रहे है तो सोच समझकर निर्णय ले, 30 मार्च से 30 जून के बीच गुरु का गोचर मकर राशि में होने के कारण पद में उन्नंती और लाभ होने के योग है, 23 सितम्बर के बाद राहु का गोचर पंचम भाव में होने जा रहा है जिसके कारण शेयर मार्केट में सोच समझकर निवेश करे।
ज्योतिष में रोग का विचार छटे भाव से किया जाता है और इस भाव का कारक मंगल है और राशि कन्या है, वही दुर्घटना का विचार आठवें भाव से किया जाता है और इस भाव का कारक शनि है वही कारक राशि वृश्चिक है, वर्ष की शुरुआत में बारहवें भाव में 5 ग्रहों का योग थकान और कमजोरी पैदा कर सकता है।
अगर आपकी आँखों में कमजोरी है तो शनि केतु के कारण समस्या हो सकती है, वही घुटनो की समस्या है तो इग्नोर ना करे, 24 जनवरी के बाद शनि जान लग्न में होंगे तो आपको मानसिक तनाव होगा जिसके कारण आपको योग और ध्यान करने की सलाह दी जाती है।
30 मार्च से 30 जून के बीच गुरु का भी गोचर लग्न में ही होगा, जिसके कारण आपको सेहत में लाभ दिखाई देगा वही 23 सितम्बर के बाद राहु के गोचर से पुरानी बीमारी खत्म होगी।
ज्योतिष में प्रेम सम्बन्धो का विचार पंचम स्थान से किया जाता है वही विवाह का विचार सप्तम स्थान से किया जाता है, प्रेम और सप्तम भाव दोनो का कारक शुक्र है, वर्ष की शुरुआत में पंचमेश शुक्र लग्न में ही होने से प्रेम सम्बन्धो के लिये समय अनुकूल है, साल की शुरुआत में आप किसी को विवाह का प्रस्ताव दे सकते है।
24 जनवरी के बाद शनि का गोचर लग्न में है और उसकी दृष्टि सप्तम भाव पर जा रही है जिसके कारण आपके और आपके जीवनसाथी के बीच कुछ मतभेद हो सकते है, इसलिये ज्यादा वाद विवाद में ना पड़े ! राहु का गोचर 23 सितम्बर के बाद अनुकूल नहीं है, इस दौरान किसी के प्रेम में पड़ने से पहले अच्छे से जांच ले वरना बदनामी हो सकती है।
ज्योतिष में परिवार का विचार दूसरे और चौथे भाव से किया जाता है, दूसरे भाव से कुटुंब वही चौथे से मांगलिक कार्यो के बारे में विचार होता है, वर्ष आरम्भ में चौथे भाव का स्वामी मंगल लाभ स्थान है जिसके कारण आप किसी ज़मीन का सौदा तय कर सकते है, वाहन क्रय करने का योग है।
केतु की पंचम दृष्टि चौथे स्थान पर आ रही है जिसके कारण मां की सेहत पर कुछ असर पड़ सकता है, लग्न में शुक्र की मौजूदगी से घर का माहौल खुशनुमा रहेगा, जनवरी से शनि के गोचर के कारण परिवार के साथ यात्राओं पर जाने का योग है।
30 मार्च से 30 जून तक गुरु का गोचर लग्न में होने से संतान पक्ष से खुशखबरी मिल सकती है, इस दौरान आपको संतान प्राप्ति के योग भी दिखाई दे रहे है वही राहु का गोचर छटे भाव में होने से आपको इस दौरान समाज में उच्च पद की प्राप्ति हो सकती है।