रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के उस नीति की बात करेंगे, जिसमें उन्होने बताया है कि किसी भी रिश्ते में आ गईं 3 चीजें तो हर रिश्ते की हार होना तय…
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में बताया है कि जब किसी मनुष्य के दिल में वहम, दिमाग में जिद और बातों में मुकाबला आ जाए तो समझ लेना की रिश्तों की हार निश्चित है। उन्होने बताया है कि ये तीन चीजें आ जाए तो समझ लेना चाहिए कि वो अपने रिश्ते हार चुका है। ये तीन चीजें दिल में वहम, दिमाग में जिद और बातों में मुकाबला है। अगर किसी भी मनुष्य में ये तीनों चीजें आ जाएं तो इसका असर उसके करीबी रिश्तों पर पड़ता है।
सबसे पहले बात करते हैं दिल में वहम की तो उन्होने बताया है कि वहम एक ऐसी चीज है जिसका कोई इलाज नहीं है। अगर किसी के भी मन में वहम आ जाए तो उसे समझाना बेकार है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमेशा वही करता है जो उसके दिमाग में आ जाए। उसे किसी भी बात समझ में नहीं आती। उसे लगता है कि जो वो कर रहा है वो एकदम सही है। यहां तक कि अगर उसे कोई समझाने की कोशिश भी करे तो वो सामने वाले को ही गलत समझ लेता है।
आगे उन्होने बताया है कि दिमाग में जिद और बातों में मुकाबला होने लगे तो उसका बुरा असर रिश्तों पर पड़ता है। दिमाग में जिद आने का मतलब है कि आपने पहले से ही सब कुछ सोच समझ लिया है और तय कर लिया है कि आपको आगे क्या करना है। वहीं बातों में मुकाबला करने का मतलब है कि अगर आपके सामने वाला आपसे एक बात कह रहा तो आप उसे ऐसा जवाब देने की कोशिश करेंगे कि वो उस पर भारी पड़े। उन्होने निष्कर्ष दिया है कि जब दिल में वहम, दिमाग में जिद और बातों में मुकाबला आ जाए तो समझ लेना की रिश्तों की हार निश्चित है।