कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर अक्सर अपने विवादित बयान से कांग्रेस की मिट्टी पलीत करते रहते है और एक बार फिर उन्होंने ऐसा ही एक विवादित बयान दे दिया है जिसका बचाव शायद ही कांग्रेस पार्टी कर पायेगी और ऐसा भी हो सकता है की कांग्रेस हमेशा की तरह सिर्फ कागज़ी कार्यवाही करेगी और उनकी गलतियों को भूल जायेगी लेकीन उससे भी बड़ा सवाल यह है की क्या आज की राजनीति में ऐसे बयानों की जरुरत है ?
दरअसल जब से केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून लागू किया है की तबसे कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष देश के लोगों को भड़काने में लगा हुआ है और केंद्र सरकार की तमाम कोशिश के बाद भी लोग इस बात को समझ नहीं रहे है की इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जायेगी बल्कि हमारे 3 पड़ोसी मुल्कों में { पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश } धार्मिक आधार पर प्रताड़ित हो रहे सभी गैर मुस्लिमों को यहां की नागरिकता मिलेगी।
इन सब विवादों के बीच दिल्ली का शाहीन बाग़ ख़ासा चर्चा का विषय बना हुआ है, दरअसल पिछले एक महीने से इस जगह सरकार विरोधी आंदोलन किये जा रहे है और तमाम कांग्रेसी नेता भी इस आंदोलन का समर्थन करने के लिये शाहीन बाग़ पहुंच रहे है, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इन आंदोलनकारियों का समर्थन किया है।
वही शाहीन बाग़ में प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर पहुंचे, वही अय्यर जो कभी प्रधानमंत्री मोदी को नीच कहकर संबोधित कर चुके है वही 2014 के पहले उन्होंने मोदी को लेकर ही बयान दिया था की ” यह आदमी कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पायेगा “ लेकिन अगर चाहे तो वो कांग्रेस मुख्यालय आकर चाय बेच सकते है।
अब जब वो बोलते है तो मसाला ढूढ़ रहे लोगो को कभी निराश नहीं करते है, अब इसे आदत कहिये या किस्मत का खेल उनके मुँह से ऐसा कुछ निकल ही जाता है जो सुर्खियों में शुमार हो जाता है तो उस प्रदर्शन में भी उन्होंने ऐसा ही कुछ कह दिया, क्रांति के बोल ऐसे उठे की वो एक लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार की तुलना उन्होंने कातिल से कर दी और एक ही पल में उन्होंने देश की 130 करोड़ जनता का अपमान कर दिया।
उनसे आज एक सवाल पूछा जाना चाहिए की कातिल कौन है ? क्या इस देश में लोकतंत्र नहीं है ? क्रांति आपको चाहिए लेकिन किसके खिलाफ आप क्रांति कर रहे है ? अपनी ही सरकार के खिलाफ ! बांग्लादेश से आये रोहिंग्या मुस्लिमों को आप स्वीकार करने को राज़ी है लेकिन पड़ोसी मुल्कों से आये गैर मुस्लिम आपको स्वीकार नहीं, ऐसा भेदभाव क्यों है ?
उन्होंने कहा की “जो भी कुर्बानियां देनी हों, उसमें मैं भी शामिल होने को तैयार हूं अब देखें किसका हाथ मजबूत है, हमारा या उस कातिल का ” !
उन्होंने एक शब्द का इस्तेमाल किया और वो था कुर्बानी तो आज उनसे एक सीधा सा सवाल यह है की क्या वो देश के मुस्लिमों को भड़का रहे है ? क्या ये देश के संविधान के अनुकूल है ? लेकिन इससे भी इतर जो आज सबसे बड़ा सवाल यह है की क्या लोकसभा चुनाव हारने की कुंठा इतनी बड़ी है की आज कांग्रेस और उसके नेता देश जलाने वालो का साथ देने को तैयार है ?