कहते है की इंसान को सफल होने का सिर्फ एक ही मौका मिलता है और उसे भी नहीं भुना पाए तो उसे दोबारा कोई मौका नहीं मिलता है लेकिन इस देश में सिर्फ एक गांधी परिवार एक ऐसा परिवार है जिसे अंसख्य मौके दिए जाते है और ये हर बार उस मौके का गुड़ गोबर करने में कोई कसर नहीं छोड़ते, आज इस लेख में हम प्रियंका गांधी की बात करने वाले है लेकिन उससे पहले एक नज़र राहुल गांधी के कारनामो पर भी डाल लेते है।
2014 के लोकसभा चुनावो से पहले राहुल गाँधी कांग्रेस के महासचिव बन चुके थे और कांग्रेस कई राज्यों की सत्ता अपने हाथो से खो चुकी थी लेकिन उसके बाद भी कांग्रेस ने राहुल गाँधी के चेहरे को आगे रखकर लोकसभा चुनाव लड़ा और इतिहास का सबसे ख़राब प्रदर्शन करते हुए वो सिर्फ 44 सीट पर सिमट गयी वही उसके बाद हुए कई राज्यों के चुनाव में उसे तीसरे नम्बर की पार्टी बनने का भी सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ लेकिन राहुल गाँधी को मौके मिलते रहे।
उप के विधानसभा चुनाव में बड़े ज़ोर शोर ने कांग्रेस ने राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर को हायर किया और चाय पर चर्चा की तर्ज पर खाट पर किसानो के साथ चर्चा की लेकिन चुनाव नज़दीक आते आते राहुल गाँधी ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सामने घुटने टेक दिए और 22 साल उप बेहाल का नारा देने वाले राहुल गाँधी उन्ही पार्टियों से गठबंधन कर बैठे जिनको वो कोस रहे थे वही इस बीच वो सर्जिकल स्ट्राइक और नोट बंदी पर भी लोगो को गुमराह करते रहे।
इसका परिणाम यह हुआ की उप में कांग्रेस चौथे नंबर की पार्टी बनी लेकिन उसके बाद भी लोकसभा चुनाव 2019 से पहले राहुल गाँधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बना दिया गया और उसका यह परिणाम हुआ की मोदी को चोर कहने वाले राहुल गाँधी की पार्टी उनके चेहरे के दम पर 100 सीट भी नहीं ला पायी और 53 सीट पर सिमट गयी।
इसी साल हुई करारी हार के बाद पार्टी के अंदर ही उठ रहे सवालो को विराम देने के लिये राहुल गाँधी ने इस्तीफा दिया लेकिन पार्टी की कमान गांधी परिवार के सदस्य सोनिया गांधी के पास ही रही वही एक सोची समझी रणनीति के तहत कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को अब मैदान में उतार दिया है और माना जा रहा है की प्रियंका कांग्रेस की अगली अध्यक्ष भी बन सकती है।
प्रियंका गांधी का प्रचार देश में कांग्रेस यह कहकर कर रही है की उनकी शक्ल इंदिरा गांधी से मिलती है वरना इसके अलावा ऐसा कोई काम उन्होंने नहीं किया है जिसके दम पर ये कहां जा सके की वो किसी पार्टी की कमान संभाल सकती है लेकिन वो राजनीती में स्थापित होने के लिए न सिर्फ देश के लोगो से झूठ बोल रही है बल्कि देश की रक्षा करने वाली पुलिस को भी बदनाम करने से नहीं पीछे हट रही है।
नागरिकता कानून पास होने के बाद से ही कांग्रेस देश में आग लगाने से बाज़ नहीं आ रही है, जबकि देश के पहले प्रधानमन्त्री नेहरू जी खुद यह स्वीकार कर चुके थे की पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की उन्हें चिंता है।
प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा 8 जनवरी 1948 को बीजी खेर को भेजे टेलीग्राम में उन्होंने कहा है- स्थितियों को देखते हुए (सिंध में गैर-मुसलमानों की हत्या और लूट-पाट हो रही थी), सिंध से हिन्दू और सिख लोगों को निकालना होगा .
जब प्रियंका गाँधी CAA के खिलाफ लखनऊ में हो रहे प्रदर्शन में शामिल होने गयी तो अपने आधिकारिक रूट का रास्ता बदल लेने पर उन्हें पुलिस वाले ने रोका लेकिन उनकी बात मानने के बजाय उनके साथ के लोग पुलिस से ही हाथापाई करने लग गये, जब उन्हें लगा की वो एक्सपोज़ होने वाले है तो उन्होंने अपने ही काफिले की सुरक्षा इंचार्ज पर अपना गला दबाने और ज़बरदस्ती हाथापाई करने का आरोप लगा दिया।
बाद में घटना का वीडियो सार्वजनिक होने पर ये साफ हो गया कि यह प्रियंका गांधी वाड्रा ही थी, जो न केवल यातायात नियमों का उल्लंघन कर रही थीं, अपितु पुलिस कर्मचारियों से बदतमीजी से पेश भी आ रही थीं।
प्रियंका गांधी यही नहीं रुकी, उनका जब यह पैतरा काम नहीं आया तो उन्होंने वही किया जो राहुल गांधी करते आये है, राहुल गांधी कभी कहते है की जो मंदिर जाता है वो लड़की छेड़ता है लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले रणदीप सुरजेवाला मीडिया के सामने आकर कहते है की राहुल गांधी जनेऊधारी हिन्दू है। कांग्रेस पार्टी का हिन्दू धर्म पर जो confusion है वो आज भी बदस्तूर जारी है।
प्रियंका गांधी एक कदम आगे बढ़कर संन्यासी का अपमान करने से भी नहीं चूकती है, जब देश के सबसे बड़े राज्य के CM योगी जी कहते है की जो दंगा करेगा उसकी संपत्ति बेचकर नुकसान की भरपाई की जायेगी तो प्रियंका उनके भगवा वस्त्रों पर टिप्पणी करते हुए बोलती है की ” यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने भगवे वस्त्रों के साथ अन्याय कर रहे हैं, क्योंकि ये रंग हिन्दू धर्म का प्रतीक है, जो हिंसा या बदला को बढ़ावा नहीं देता ” .
ये प्रियंका के दोगले बर्ताव का बस एक उदाहरण मात्र है, इससे पहले यही प्रियंका गांधी थी जिन्होंने अपनी सुरक्षा को लेकर कहा था की वो किसी की परवाह नहीं करती लेकिन जब इसी मोदी सरकार ने उनकी एसपीजी सुरक्षा हटायी तो उन्होंने मोदी जी को महिला विरोधी तक करार दे दिया और आसमान सर पर उठा लिया।
इससे पहले भी वो एक फ़र्ज़ी लड़ाई का वीडियो शेयर कर चुकी है जिसमे उन्होंने लिखा था की कुछ दबंग दलित लोगो को मार रहे है लेकिन उसके बाद खुद मैनपुरी पुलिस ने उनके इस दावे की पोल खोल दी और उन्हें संयम से ट्वीट करने की सलाह दी।
वैसे ये नया नहीं है, दरअसल सत्ता छीन जाने के बाद से ही कांग्रेस 2014 से ही फ़र्ज़ी हथकंडे अपना रही है और वो सेना, पुलिस, सरकारी संस्थान तक को अपना निशाना बना चुके है तो आगे भी यही सब होता रहेगा और मुझे आपको और हम सबको यह समझना होगा की ये लड़ाई सिर्फ सरकार को नहीं बल्कि देश को बचाने की भी है।