विवादों से JNU का नाता पीछा छूटता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है, दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कल शाम फिर हिंसा भड़क उठी, पहले जामिया और बाद में अलीगढ ! अब एक बार फिर JNU, देश की यूनिवर्सिटी में हिंसा है की थमने का नाम नहीं ले रही है।
कल शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक कैंपस में हिंसा का वो तांडव हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, दरअसल कल कैंपस के अंदर घुस आए नकाबपोशों ने हाथों में सरिया, हॉकी स्टिक्स, डंडे और हथौड़े लेकर छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया. करीब तीन घंटे तक ये हिंसा चली.
हमलावरों ने हॉस्टलों के अंदर घुसकर स्टू़डेंट्स को मारा. कई स्टूडेंट्स लहुलूहान हो गए. कइयों का सिर फूटा. हमलावरों ने स्टूडेंट्स और शिक्षकों पर पत्थरबाजी भी की. हॉस्टलों में काफी तोड़फोड़ भी की गई है और दर्जनों लोग घायल हुए है।
JNU छात्र संगठन कह रहा है की हिंसा ABVP ने करवाई है जिसमे तीन हॉस्टलों- साबरमती, माही मांडवी और पेरियार हॉस्टल को निशाना बनाया गया वही ABVP कह रही है की हिंसा लेफ्ट समर्थित ग्रुप्स ने की है।
दरअसल 1 जनवरी से रजिस्ट्रेशन हो रहा था और कल आखिरी तारीख थी, अब ABVP का आरोप है की लेफ्ट के ग्रुप्स ने इंटरनेट बंद कर दिया, उन्होंने कहा की जिन्हे करवाना है कम से कम उन्हें तो करवाने दिया जाए और इसी मसले पर हिंसा शुरू हुई।
दरअसल अब यहां सबसे बड़ा प्रश्न यह खड़ा होता है की आखिर उस यूनिवर्सिटी जहाँ से विदेश मंत्री जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला जी पढ़ी है वहां आज हिंसा का तांडव क्यों हो रहा है ? सरस्वती के मंदिर में ऐसी हिंसा क्या छात्रों को शोभा देती है ? खुद निर्मला जी ने ट्वीट करते हुए इसे निंदनीय बताया है। उन्होंने लिखा की यूनिवर्सिटी हर तरह के ओपिनियन की जगह रही है, पर हिंसा की नहीं वही विदेश मंत्री जयशंकर ने लिखा की यह हमारी संस्कृति के खिलाफ है।
देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में शामिल JNU का विवादों से आज का नाता नहीं है, यहां पढ़ने वाले छात्रों पर सिर्फ हिंसा की ही नहीं बल्कि देश विरोधी गतिविधियों का भी आरोप लग चुका है, इन सबकी शुरुआत हुई थी फरवरी 2016 से , दरअसल 9 फरवरी 2016 को हुए एक कार्यक्रम में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत कई छात्रों पर भारत विरोधी नारे लगाने का आरोप लगाया गया। इसी तारीख को संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के तीन वर्ष पूरे हुए थे।
जिस भारत माता के लिए देश के वीर सपूत हसते हसते अपनी जान पर खेल गए वही इन छात्रों ने भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह के नारे लगाये, वही अफ़ज़ल गुरु जैसे आतंकी का महिमामंडन करने से भी ये नहीं चुके, नारे लगाए कि तुम कितने अफ़ज़ल मारोगे हर घर से अफ़ज़ल निकलेगा, इसके साथ ही भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी, जंग रहेगी जैसे नारे भी लगाये गये थे।
11 फरवरी को टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर देश विरोधी नारे लगाने के वीडियो टेलीकास्ट हुए थे जिसके बाद पुरे देश में एक आक्रोश की लहर दौड़ गयी थी।
सिर्फ इतना ही नहीं यूनिवर्सिटी के छात्रों पर आरोप है की इन्होने दुर्गापूजा के दौरान कैंपस में महिषासुर की पूजा की और हॉस्टल के मेस में ये लोग बीफ मांगते हैं, हिन्दू धर्म की मान्यताओं में जिस राक्षस को बुराई का प्रतीक माना जाता है और दुर्गा को देवी मानते है उसी दुष्ट राक्षस की पूजा करके सरस्वती के मंदिर को दूषित करने का काम किया।
वही मार्च 2017 में इसी यूनिवर्सिटी के कैंपस में “फ्रीडम फॉर कश्मीर” के पोस्टर लगाए गए थे, जिस कश्मीर को देश की संसद भारत का अभिन्न अंग मान चुकी है उसी कश्मीर को ये किससे आज़ादी दिलवाने वाले है ? क्या ये अलगावादियों का समर्थन नहीं था ? जिस कश्मीर के लिये ना जाने कितने भारतीय सैनिको ने खून बहाया है उसी सेना को आतंकी बताना कौनसी किताब सिखाती है ?
सिर्फ इतना ही नहीं जब इसी साल नवम्बर में विश्वविद्यालय के हॉस्टल में रह रहे छात्रों से वसूले जा रहे शुल्क को बढ़ा दिया गया जिसमे कमरे के किराये से लेकर बिजली, पानी और मेंटेनेंस के शुल्क तक शामिल हैं तो इन्ही छात्रों ने देश की राजधानी की सड़को पर अराजकता का माहौल बना दिया।
छात्र सिर्फ इतनी सी बात पर सड़को पर आ गए और संसद की तरफ बढ़ने लगे, जिन छात्रों का काम अपनी पढाई कर देश का भविष्य सवारने का है वही छात्र देश की सड़को पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पंहुचा रहे थे ! उन्हें किसी भी आम व्यक्ति की चिंता नहीं थी, पुलिस के साथ धक्का मुक्की और मारपीट की गयी।
अभी हाल ही में पेश हुए नागरिकता बिल के विरोध में भी प्रदर्शन हुए, देश को मुस्लिमो को लेकर झूठ फैलाया गया, सड़को पर आगजनी की गयी, बसे फूंक दी गयी, क्या ये किसी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वालो को शोभा देता है !
आखिर में सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा होता है की ये कौन अराजक तत्व है जो शिक्षा के मंदिर को दूषित करने में लगे हुए है ? आखिर देश की राजधानी में स्थित इस यूनिवर्सिटी में इस हिंसा का तांडव कब बंद होगा ? क्या अब समय आ गया है की देश की केंद्र सरकार को इस यूनिवर्सिटी का ज़िम्मा अपने हाथो में ले लेना चाहिए ?
सवाल कई है और इन सबका उत्तर भविष्य के गर्त में है लेकिन इतना तय है की जब छात्रों के हाथो में सरिये चाकू तलवार आ जाये तो भारत देश की महान परंपरा का सीना छलनी होना तय है।