रामायण एक ऐसा ग्रन्थ है जिससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। जीवन की कई समस्या ऐसी है जो इस ग्रंथ को समझने मात्र से दूर हो जाती है। जीवन में कई बार हम लोग सफलता के लिए यत्न करते है लेकिन आस पास के संकेतों और छोटी छोटी बातों का ध्यान नहीं रखते है जिसके कारण हमे आगे चलकर उसका अर्थ नहीं समझ आता है और हम विफल हो जाते है।
एक ऐसा ही प्रसंग रामायण में आता है। दरअसल रावण का एक मायावी भाई था और उसका नाम था अहिरावण। उसने रावण के कहने पर राम और उनके भाई का किडनैप कर लिया। किसी को इस बात की तनिक भी भनक नहीं लगी क्यूंकि उसने विभीषण का रुप धारण किया था।
जब उन्हें इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने हनुमान से कहा की हे हनुमान ! ये सिर्फ अहिरावण का काम हो सकता है। उसके अलावा मेरा रुप कोई नहीं धारण कर सकता है। इन सब बातों को जानकार हनुमान जी उनकी खोज में निकल पड़े।
लाख कोशिश करने के बाद भी हनुमान जी को दोनों भाई नहीं मिले। इसके कारण वो थक कर एक पेड़ के नीचे बैठ गए और सोचने लगे की अब कैसे उनका पता लगाया जाए ?
इसी बीच पेड़ पर बैठे दो पक्षियों की बात उन्हें आपस में सुनाई दी जो की कह रहे थे की आज अहिरावण इंसान की बलि देगा और हमे इंसान का मांस खाने को मिल जाएगा। हनुमान जी तुरंत समझ गए की दोनों भाई आस पास भी है।
उन्होंने जल्द ही अहिरावण को खोज लिया और दोनों भाइयों को उनकी कैद से आजाद करवा दिया। इस पुरे प्रसंग से हम ये सीख सकते है की प्रकृति की हर बात एक संकेत होती है उसी तरह सफलता भी संकेत देती है। विचारों के शोर से बाहर निकले और संकेतों को समझे।