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बढ़ता बहुसंख्यकवाद, मानवाधिकारों के लिए असुरक्षित!!: मो. राशिद अल्वी, युवाछात्र व सोशलएक्टिविस्ट

Growing majoritarianism, unsafe for human rights!! Mohd. Rashid Alvi;भारत की इंसानियतनुमा तहज़ीब, भाईचारा, एकता की अपने आप में एक मिसाल | जनता महंगाई की मार झेल रही |

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

मो. राशिद अल्वी

(युवाछात्र व सोशलएक्टिविस्ट)

भारत में बढ़ता बहुसंख्यकवाद, जिसमें झलकती फासीवाद और नाजीवाद विचारधारा और कुचले जाते अल्पसंख्यको के मानवाधिकार। भारत में बढ़ते इस बहुसंख्यकवाद से देश में उत्पन्न होती एक घृणित सोंच और इस सोंच से बढ़ती कट्टरता और खोती इंसानियत देश की खुशनुमा तहज़ीब को अंधकार की और धकेल रही है। जो भारत की एकता, भाईचारा, सामाजिक और आर्थिक स्थिति के लिए ख़तरा है। जिसके भविष्य में बहुत दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे।

 

भारत का इतिहास रहा है कि भारत की इंसानियतनुमा तहज़ीब, भाईचारा, एकता की अपने आप में एक मिसाल होती थी, जिसकी दुनिया क़ायल थी। लेकिन भारत उस दौर में आ खड़ा हुआ है जहां भारत बहुसंख्यकवाद की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है और इस बहुसंख्यकवाद में फासीवाद और नाजीवाद विचारधारा की झलक दिखाई दे रही है। जब हम इतिहास के पन्नों को पलटते हैं मुसोलिन और हिटलर ऐसे तानाशाह गुज़रे जिन्होंने अपने देशों को ऐसे अंधकार की अंधभक्ति में ढकेल दिया जिससे इनके द्वारा फैली अंधभक्ति ने अपने अपने देशों की सोंच को घृणित बना दिया और इन तानाशाहों ने अपने देशों में नफ़रत का ऐसा बीज वोया के देश को हिंसा की आग में झोंक दिया। खुले आम मानवाधिकारों का उलंघन किया जाने लगा।

एडोल्फ हिटलर वो तानाशाह है जिसने लोगों को भड़का कर एक ऐसी नाजीवाद विचारधारा को जन्म दिया जिससे उसने अपने देश के लोगों की इन्सानी सोच पर कब्जा कर अपने गलत मंसूबों को कामयाब करता रहा और देश को दंगों की आग में झोंक दिया। आज हमारा इंसानियतनुमा तहज़ीब, भाईचारा,एकता वाला देश ऐसी कुंठित विचारधाराओं की और बढ़ रहा है। जिस प्रकार से एक विशेष अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहा अत्याचार मानवाधिकारों और इंसानियत को कुचल रहा है। आये दिन अल्पसंख्यकों की लिंचिंग देश की मानवतावादी छवि और लोकतंत्र पर धब्बा है। अल्बेयर कामू ने कहा था “लोकतंत्र में बहुमत का सिद्धांत सर्वोपरि नहीं है बल्कि अल्पतंत्र की रक्षा सर्वोपरि है।” आज रासुका कानून का दुरुपयोग कर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को जेलों में डाल दिया गया है। प्रशासन द्वारा कई मुस्लिम अल्पसंख्यकों को झूठे मुकदमों में फंसाकर कई सालों तक जेलों में रखा जिसमें से कुछ को आज बाइज़्ज़तबरी कर दिया गया है लेख सीमित है इसलिए जो ज़ुल्म कुछ बर्षो में किया गया है इसका इतना बर्णन तो नहीं कर सकता हां लेकिन आपको मनीषा भल्ला और अलीमुल्लाह खान द्वारा लिखी गई किताब ”बाइज़्ज़त बरी” को पढ़ने की सलाह जरूर दूंगा। जिसके जरिए पता लगेगा के किस प्रकार से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को झूठे मुक़दमों में फंसाया गया, झूठी चार्जशीट लगाई गईं जिससे कई वर्षों तक वो साजिशों का शिकार हो कर जेलों में रहे और अंत में वो बाइज़्ज़त बरी हुए। क्या इसे सही इंसाफ कहा जाये जो वर्षों तक अपने परिवार से दूर कालकोठरी में रहे सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर हुए, जो अब ग़ुरबत की ज़िंदगी जी रहे हैं। न उन्हें बाइज़्ज़त बरी होने पर कोई मुआवजा मिला और न उन प्रशासनिक लोगों पर कोई कार्रवाई हुई जिन्होंने साजिशों से उन बेगुनाहों को फंसाया। क्या ये उनके मानवाधिकारों का हनन नहीं?  क्या भारतीय मानवाधिकार आयोग ने इस पर कोई कार्रवाई की?  ऐसे प्रश्न ऐसे ही दिमाग़ में घूमते रहेंगे जब तक उन्हें सही तरह से इंसाफ नहीं मिल जाता। लव जेहाद, जबरन धर्म परिवर्तन जैसे क़ानून बना कर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और उनकी अवैध गिरफ्तारियां किए जाने की शिकायतें आम हैं। क्या मुस्लिमों को अपने धर्म का प्रचार प्रसार करने की आज़ादी नहीं है? क्या अपने धर्म के प्रचार प्रसार करने की इजाजत संविधान नहीं देता?  फिर क्यों जबरन धर्म परिवर्तन के नाम पर मुकदमे लगाकर गिरफ्तारियां की जा रही हैं। बेगुनाहों को फंसाया जा रहा है। क्या 14% आबादी वाला समुदाय 80% आबादी को जबरन धर्म परिवर्तन करायेगा ये कैसा तर्क है?  और उससे भी ज्यादा दुख तब होता है जब हमें हमारे ही देश के चंद लोग जो घृणित मानसिकता से ग्रस्त हैं, कहते हैं इन मुल्लों को पाकिस्तान भेजो, ये मुल्ले पाकिस्तानी हैं, ये मुल्ले देशद्रोही हैं, ये किसी ने सोंचा कितनी मानसिक पीड़ा होती होगी जब हम पर ऐसे लांछन लगाए जाते हैं। ये अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय का मानसिक उत्पीड़न नहीं तो क्या है? क्या हमें अपने देश में सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार नहीं?  मैं उन घृणित मानसिकता के लोगों से कहना चाहूंगा देशभक्त तुम नहीं हम देशभक्त हैं जो तुम्हारे ऐसे लांछन पर भी अपने देश की एकता, भाईचारा और इंसानियतनुमा तहज़ीब को कायम रखने के लिए चुप रहते हैं। तुमसे ज्यादा मुहब्बत है हमें अपने प्यारे वतन हिंदुस्तान से इस वतन के लिए हमारे पूर्वजों ने भी क़ुर्बानियों दी हैं। देश के हर धर्म और वर्ग के लोगों को समझने की जरूरत है के कुछ घृणित मानसिक सोच से ग्रस्त धार्मिकता के आधार पर गन्दी राजनीति करने वाले ये नेता लोगों पर अत्याचार करके और उनके लिए बहुसंख्यक वर्ग में घृणित सोंच पैदा करके चाहे धार्मिकता के नाम पर या जातिवाद के नाम पर, धार्मिक कट्टरवाद की आड़ में अपने राजनीतिक और गलत कार्यों को अंजाम देते हैं। और ये जीता जागता उदाहरण है कि आज हमारे देश को धार्मिक कट्टरवाद की आड़ में किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। देश की आर्थिक स्थिति क्या है?  देश की शिक्षा, रोज़गार, स्वास्थ्य, महंगाई की स्थति किस मुकाम पर पहुंच गई है?

चंद उद्योगपतियों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए पूरे देश की आर्थिक स्थिति को कहां लाकर खड़ा कर दिया है पूरा देश जानता है कैसे जनता महंगाई की मार झेल रही है। देश को निजीकरण की ओर लेकर जाया जा रहा है वो तो भला हो किसानों का जो तीन कृषि कानूनों की वापसी के लिए अपने घरवार को छोड़ कर मैदान में डटे रहे,सरकार को झुकना पड़ा और तीनों कृषि कानून बापस लिए। जो अड़ जाते हैं वो कुछ कर जाते हैं और किसानों ने जीत हासिल की । पूरे देश को किसान समाज का धन्यवाद करना चाहिए क्योंकि इन कानूनों का असर सिर्फ किसानों पर ही नहीं पूरे देश की जनता पर होता। उद्योगपति कम रेट पर किसानों से खरीद कर अपने गोदामों में स्टोक कर महंगे दामों में बेचकर जनता को लूटते। मेरे प्यारे देश वासियों धर्म के आधार पर समाज में घृणित सोंच पैदा करके अपने राजनीतिक और ग़लत मंसूबों को कामयाब करने वालो को अपने नुमाइंदे मत बनाओ उन्हें सत्ता में मत लाओ। मेरे प्यारे देश वासियों देश की तरक्की, एकता, भाईचारा और तहज़ीब तभी बनी रह सकती है जब हम धार्मिकता से स्वच्छ छवि वाले नेताओं के हाथों देश की सत्ता सौंपें। जब तक राजनीति धार्मिकता से स्वच्छ नहीं तब तक का विकास संभव नहीं।

(Note: ये लेखक के निजी विचार हैं)

 

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