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समाज को अच्छा करने से पहले खुद को अच्छा बनाना होगा, इसी से होगा देश का विकास

By RNI Hindi Desk 
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किसी भी समाज को अगर अच्छा बनाना है तो सबसे पहले हर व्यक्ति को अच्छा बनना होगा। यही एक अच्छे समाज की नींव हो सकती है। किसी और की बुराई को देखना और उसी को हाईलाइट करके उसे बदनाम करने वाले लोग कभी भी अच्छा समाज नहीं बना सकते है।

आज के समय में तो यह चीज बहुत अधिक देखने को मिलती है जब लोग अपने आप पर ध्यान देने की बजाय दूसरो पर ध्यान देते है। इस संबध में एक कथा आती है की एक गाँव में एक साधु काफी समय तक रुका और सभी गाँव के लोग उसकी इज्जत करते थे।

वो रोज शाम को पेड़ के नीचे बैठकर प्रवचन करते थे और अपनी अच्छी 2 बातों से गाँव के लोगों के मन को जाग्रत करने की कोशिश करते थे। उनकी लोगों के बीच में एक स्त्री भी आती थी। एक दिन सबके जाने के बाद उस स्त्री ने उनसे निवेदन किया की मैं भी आपसे कुछ प्रश्न करना चाहती हूँ।

उस संत ने कहा की अवश्य करो ! इसके बाद उस स्त्री ने उस संत से प्रश्न पूछे और उन्होंने सबका उसे उत्तर दिया ,इसके बाद उस स्त्री ने उस संत से कहा की आप मेरे घर भोजन करिए और मुझे धन्य कीजिए।

उन्होंने हां कही ! लेकिन दूर से देख रहे एक पुरुष ने उस स्त्री के जाने के बाद उस संत से कहा की हे प्रभु ! वो चरित्रहीन स्त्री है। ना जाने कितने पुरुषों के साथ वो संबंध बना चुकी है और आप उसके घर खाना खाने जा रहे है ? आप ऐसा मत कीजिए।

तो उस संत ने उसका एक हाथ पकड़ा और उससे कहा की ताली बजाकर दिखाओ ? वो बोला की ये तो असंभव है ! संत ने कहा की एक स्त्री खुद से ही चरित्रहीन हो जाए ये भी तो असंभव ही है ना ? पुरुष चरित्रहीन नहीं होते तो वह महिला भी चरित्रहीन नहीं होती।

ये सुनकर वो शर्मिंदा हुआ और माफ़ी मांगी। इस प्रसंग से हम यह सीख सकते है की दूसरे को बुरा कहने से पहले खुद को देख लीजिये और जिस दिन आपने ऐसा करना शुरू कर दिया उसी दिन समाज अच्छा हो जाएगा।

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