महाभारत के युद्ध के बारे में तो सब जानते है और सब यह भी जानते है कि अर्जुन और कर्ण माता कुंती के ही पुत्र थे और प्रसिद्द धनुर्धर थे लेकिन क्या आपको पता है कि कर्ण अर्जुन को मार सकते थे लेकिन मार नहीं पाए क्यों ? दरअसल जब भगवान श्रीकृष्ण ने कर्ण को ये बताया की तुम कुंती के पुत्र हो तो वो उनसे मिलने गए।
उन्होनें कुंती को वचन दिया कि वो अर्जुन को छोड़कर किसी पांडव को नहीं मारेंगे, ऐसे में कई मौके ऐसे आये जब वो नकुल सहदेव को मार सकते थे लेकिन वचन में बंधे होने के कारण वो ऐसा नहीं कर पाए लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है की जब कर्ण अर्जुन को मार सकते थे तो वो उसे क्यों नहीं मार पाए ?
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इसके पीछे का कारण है भीम और हिडिम्बा का पुत्र घटोतकच्छ, दरअसल जब पांडवों को लाक्षा ग्रह में जलाने की साजिश हुई तो वो वहां से बचकर निकल गए और जब वो वहां से जाने लगे तो एक राक्षसी उन पर मोहित हुई और उनसे विवाह किया और उसका पुत्र घटोत्कच हुआ। बाद में उसने उस पुत्र को पांडवों को देते हुए कहा की वो सदैव आपकी रक्षा में तत्पर रहेगा।
जब महाभारत का युद्ध हो रहा था तो दोनों और से भयानक आक्रमण किये जा रहे थे, कर्ण के पास देवराज इंद्र का दिया हुआ एक अमोघ अस्त्र था जिससे वो अर्जुन को मार सकता था और कृष्ण यह जानते थे की कर्ण इसका इस्तेमाल अर्जुन के ऊपर ही करेगा। उसमे भी शर्त यह थी की कर्ण इसका इस्तेमाल सिर्फ एक बार ही करेगा।
ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने घटोत्कच को युद्ध करने के लिए प्रेरित किया, वह भीम की तरह ही बड़ा बलशाली था तो ऐसे में वो कर्ण से भयंकर युद्ध करने लगा और कौरवों को सेना को गाजर मूली की तरह काटने लगा, उसने कर्ण के बाणों को बहुत मजबूती से सामना किया, उसका कहर कौरवों पर ऐसा बरसा की सेना हाहाकार करने लगी।
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ऐसे में दुर्योधन बहुत विचलित हो गया, उसे लगा की ये तो अकेला ही सबको मार देगा तो ऐसे में उसी ने कर्ण से आग्रह किया की तुम इसका वध कर दो, और इंद्र द्वारा दिया गया अमोघ शस्त्र जो कर्ण अर्जुन पर चलाने वाला था वह उसने भीम के बेटे पर चला दिया और उसका वध किया।
जब घटोत्कच का वध हुआ तो अर्जुन शोक में डूब गए लेकिन जब कृष्ण ने उन्हें पूरी बात और उस शस्त्र का रहस्य समझाया तब जाकर उनका मन शांत हुआ। तो आज हमने आपको बताया की क्यों कर्ण अर्जुन का वध नहीं कर पाया ! अगले लेख में आप पढ़ेंगे एक और पौराणिक कथा।