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MANREGA BUDGET : ग्रामीण बेरोजगारो के लिए बुरी खबर, बजट मे मनरेगा के फण्ड(fund) मे कटौती

आम बजट 2022-23 में मोदी सरकार ने मनरेगा (MGNREGA) योजना का बजट घटा दिया है. ये चालू वित्त वर्ष के संशोधित बजट अनुमान से 25.5% कम है। जबकि देश इस समय हर स्तर पर विकराल बेरोजगारी का सामना कर रहा है।

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

रिर्पोट – अतुल विश्वकर्मा

आम बजट 2022-23 में मोदी सरकार ने मनरेगा (MGNREGA) योजना का बजट घटा दिया है. ये चालू वित्त वर्ष के संशोधित बजट अनुमान से 25.5% कम है. जबकि देश इस समय  हर स्तर पर विकराल बेरोजगारी का सामना कर रहा है।

मोदी सरकार ने इस बार के आम बजट 2022-23 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (MGNREGA) योजना का बजटीय आवंटन कम किया है। ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या से निपटने और मांग बढ़ाने वाली इस योजना का बजट पहले से लगभग चौथाई कम हुआ है।

 

दिए सिर्फ 73,000 करोड़ रुपये

ग्रामीण इलाकों में रोजगार की गारंटी देने वाली मनरेगाा योजना के लिए इस बार बजट में सिर्फ 73,000 करोड़ रुपये रखे गए हैं। ये चालू वित्त वर्ष के संशोधित बजट अनुमान 98,000 करोड़ रुपये से 25.51% कम है. जबकि सरकार ने कोरोना कालखंड 2020 में इसी योजना के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया था, जिसने करीब 11 करोड़ ग्रामीण मजदूरों को मुश्किल वक्त में राहत दी थी।

पिछले साल भी कम रखा गया था बजट

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने पिछले साल जब बजट पेश किया था, तब भी इस योजना के लिए कम आवंटन रखा गया था। बाद में ग्रामीण क्षेत्र में काम की ज्यादा मांग के चलते इसका बजट बढ़ाया गया और चालू वित्त वर्ष के लिए ये संशोधित अनुमान 98,000 करोड़ रुपये हो गया है।

मिलता है 100 दिन का रोजगार

मनमोहन सरकार के समय वर्ष 2006 में इस योजना को लाया गया था. इस योजना के तहत सरकार ग्रामीण इलाकों में लोगों को 100 दिन का रोजगार देने की गारंटी देती है।  बाद में मोदी सरकार के आने के बाद भी इस योजना को बरकरार रखा गया। अध्ययन दिखाते हैं कि ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी की समस्या को कम करने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने में इस योजना का अहम योगदान रहा है।

सरकार को अगर मनरेगा के मौजूदा लाभार्थियों को ही 100 दिन का रोजगार देना है तो उसे बजट में 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि का आवंटन करना चाहिए था। हर साल मनरेगा के बजट का एक बड़ा हिस्सा पिछले साल के एरियर भुगतान पर जाता है। पीपुल्स एक्शन फॉर एंप्लॉयमेंट गारंटी प्लेटफॉर्म के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में भी इस बकाया के करीब 12,494 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. वहीं मनरेगा के तहत सक्रिय जॉब कार्ड वाले मजदूरों की संख्या भी करीब 10 करोड़ है।

हालांकि सरकार ने इस बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बड़े पैमाने पर खर्च करने का रोडमैप तैयार किया है. इन्फ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले निवेश से ग्रामीण स्तर पर बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होता है।

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